शिवहर: जिला कृषि विज्ञान केंद्र में अनुसूचित जाति परियोजना के अन्तर्गत आलू की वैज्ञानिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.अनुराधा रंजन कुमारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई.जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति के किसानों तथा महिला कृषकों को आलू उत्पादन की आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराना.ताकि वे अधिक उत्पादन प्राप्त कर आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें.प्रशिक्षण कार्यक्रम में 24 किसान एवं महिला कृषकों को आलू बीज के प्रजाति कुफ़री ललित एवं कुफ़री सिंदुरी का प्रदर्शन (डेमो) भी प्रदान किया गया.जिससे वे स्वयं अपने खेतों में उन्नत किस्मों की खेती कर सकेंगे.वही वैज्ञानिक डॉ.अनुराधा ने आलू की वैज्ञानिक खेती के महत्व, उपयुक्त किस्मों के चयन, मिट्टी की तैयारी, उर्वरक प्रबंधन, कीट एवं रोग नियंत्रण तथा जल प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की.उन्होंने किसानों को बताया कि वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग से न केवल उपज बढ़ती है.बल्कि उत्पादन लागत भी कम होती है.वही उद्यान वैज्ञानिक डॉ. संचिता घोष ने आलू लगाने की उन्नत विधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उचित दूरी, बीज उपचार तथा समय पर रोपण से आलू की गुणवत्तापूर्ण पैदावार सुनिश्चित की जा सकती है.उन्होंने खेत में आलू की बुवाई की व्यवहारिक प्रक्रिया भी प्रदर्शित की.साथ ही कृषि अभियंत्रण के वैज्ञानिक डॉ. सौरभ शंकर पटेल ने मशीन द्वारा आलू की बुवाई (मशीन प्लांटिंग) की तकनीक को समझाया तथा उन्होंने बताया कि मशीन से बुवाई करने पर समय की बचत, श्रम लागत में कमी एवं समरूप बुवाई संभव होती है.जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है.वही वैज्ञानिक डॉ. एन.एम.एच.एनलिंग ने आलू में मूल्य संवर्धन पर विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने आलू से बनने वाले विभिन्न उत्पाद चिप्स, फ्लेक्स, पाउडर आदि के बारे में जानकारी दी और बताया कि प्रसंस्करण तकनीक अपनाकर किसान अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.इस कार्यक्रम को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ.मौके पर रेखा देवी, मीणा देवी, सुनीता देवी, नीतू देवी, ललिता देवी, रविन्द्र कुमार, सत्यनारायण बैठा, कमलेश कुमार समेत कई महिला कृषक व अन्य मौजूद थे.
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