सीतामढ़ी. शहर के लाल दास धनीराम कुटी, रिंग बांध में बालक राघवेंद्र दास के सानिध्य में अक्षय नवमी मनाया गया. संत भूषण दास ने बताया कि कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय नवमी भी कहलाती है. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन कर उसकी जड़ में दूध अर्पित किया जाता है. इसके बाद अक्षत, पुष्प, चंदन से पूजा-अर्चना कर पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर, बाती या शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा की जाती है. इसके बाद कथा सुनी जाती है. भगवान विष्णु का ध्यान एवं पूजन किया जाता है. पूजा-अर्चना के बाद भोग लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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