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25 दिन बिना अन्न-जल के कर रहे उपासना

सीतामढ़ी : दुर्गा पूजा के दौरान मां भगवती की तरह-तरह से उपासना की जाती है. कोई भक्त सीने पर कलश रख कर मां की साधना में लीन रहता है तो कोई दशहरा भर बिना अन्न -जल का तो बहुत से श्रद्धालु फलाहार कर मां की पूजा करते हैं. इन भक्तों में नागेश्वर सिंह भी शामिल […]

सीतामढ़ी : दुर्गा पूजा के दौरान मां भगवती की तरह-तरह से उपासना की जाती है. कोई भक्त सीने पर कलश रख कर मां की साधना में लीन रहता है तो कोई दशहरा भर बिना अन्न -जल का तो बहुत से श्रद्धालु फलाहार कर मां की पूजा करते हैं. इन भक्तों में नागेश्वर सिंह भी शामिल हैं. हालांकि मां के प्रति उनकी भक्ति व उपासना करने के कठिन तरीकों के चलते अन्य भक्तों व श्रद्धालुओं से अलग श्री सिंह की साधना है. उनकी कठिन साधना की बात सुनते ही हर कोई उनकी एक झलक पाने को आतुर हो जा रहा है. यह जान कर हैरानी होगी कि श्री सिंह की साधना दशमी को समाप्त होगी. उस दिन उनके बिना अन्न-जल के साधना के 25 दिन पूरे होंगे.

महारानी स्थान में साधना : सुरसंड प्रखंड के करड़वाना कोरियाही गांव में महारानी स्थान है. उसी जगह ग्रामीण श्री सिंह साधना कर रहे हैं. आठ फिट गढ़े के अंदर बैठ कर वे मां की भक्ति में लीन है. दशहरा के दिन उनकी साधना शुरू हुई. दशमी को समाप्त होगी. मुखिया मनोज कुमार ने बताया कि उक्त साधक मां की साधना में जाने के पूर्व 15 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन ही अन्न-जल का त्याग कर दिये थे. उस दिन से अन्न का एक दाना तो दूर पानी की एक बूंद भी नहीं लिये हैं.
बनाये गये गढ़े में बाहरी कोई नहीं जा सकता है. सीसा लगाया हुआ है. उसी के माध्यम से उक्त साधक को देखा जाता है. गढ़े के ऊपर मचान बना हुआ है और उसके चारों ओर 251 कलश स्थापित है. सुबह की अपेक्षा शाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्री सिंह को देखने आते हैं. वैसे पूरे दिन भर लोगों की लाइन लगी रहती है.

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