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नियमों को ताक पर रख कर हो रही होमगार्ड जवान की तैनाती, सेवा मुक्त होगा हत्यारोपित जवान मुरारी

नियमों को ताक पर रख कर हो रही होमगार्ड जवान की तैनाती, सेवा मुक्त होगा हत्यारोपित जवान मुरारीपेज तीन का लीड फोटो-5, सनकी होमगार्ड जवान मुरारी की गोली से सुनील नामक दुकान की मौत से सुरक्षा तंत्र पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. प्रभात पड़ताल में यह सामने आया है कि कायदे-कानून को ताक […]

नियमों को ताक पर रख कर हो रही होमगार्ड जवान की तैनाती, सेवा मुक्त होगा हत्यारोपित जवान मुरारीपेज तीन का लीड फोटो-5, सनकी होमगार्ड जवान मुरारी की गोली से सुनील नामक दुकान की मौत से सुरक्षा तंत्र पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. प्रभात पड़ताल में यह सामने आया है कि कायदे-कानून को ताक पर रख कर जिले में होमगार्ड जवान की प्रतिनियुक्ति की जा रही है. विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि एक स्थान पर दो माह से अधिक जवान को ड्यूटी नही देनी है, किंतु दूसरे स्थानों की बात छोड़ भी दे तो जिला मुख्यालय स्थित डीटीओ कार्यालय व समाहरणालय में प्रतिनियुक्त किशोरी समेत चार होमगार्ड जवान जुगाड़ टेक्नोलॉजी से वर्षों से टिके हुए है. ऐसे में जवानों के मेडिकल फिटनेस पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है. बहरहाल होमगार्ड कार्यालय की अनियमितता का खामियाजा 7 अप्रैल को सुनील की मौत के बाद एसपी से लेकर छोटे-बड़े पुलिस अधिकारियों को भुगतनी पड़ी. प्रतिनिधि सीतामढ़ी : तरह-तरह के आरोपों को लेकर होमगार्ड जवान भी बीच-बीच में चर्चा में रहे हैं. ताजा चर्चा में जवान मुरारी सिंह हैं. हत्या के मामले में आरोपित किये गये उक्त जवान की अब उल्टी गिनती शुरू हो गयी है. गंभीर आरोपों के चलते उसे सेवा मुक्त करने की कार्रवाई की जायेगी. विभागीय अधिकारी के स्तर से इस तरह का संकेत मिला है. — प्राथमिकी की प्रति प्राप्त नहीं बताया गया है कि उक्त जवान परिहार प्रखंड के सहरगामा गांव का रहने वाला है. वह वर्ष 1930 में सेवानिवृत होने वाला है. यानी अभी उसकी नौकरी 14 वर्ष शेष है. हालांकि जवान की हुई उक्त गलती के चलते प्राथमिकी के बाद उसे सेवा मुक्त करने की भी कार्रवाई की जायेगी. होमगार्ड डीएसपी हर्षवर्धन बताते हैं कि जवान के खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की प्रति अब तक प्राप्त नहीं हुई है. प्राप्त होते हीं जवान को सेवा मुक्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी. — जवान मानसिक रूप से ठीक नहीं! लोगों द्वारा कहा जा रहा है कि होमगार्ड जवान मुरारी सिंह की मानसिक स्थिति पूरी तरह ठीक नहीं रहती है. इस बाबत डीएसपी हर्षवर्धन ने बताया कि ऐसा कोई रिपोर्ट उनके पास नहीं है, जिसमें जवान की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के बात का उल्लेख हो. अगर यह बात लोग कहते हैं तो मेडिकल जांच के बाद हीं कुछ स्पष्ट हो पायेगा. — हर चार वर्ष पर जांच वे बताते हैं कि हर चार वर्ष पर होमगार्ड जवानों से संबंधित प्रपत्र में चरित्र व स्वास्थ्य समेत अन्य बातों की जानकारी ली जाती है. यह देखा जाता है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो नहीं है. मेडिकल जांच भी करायी जाती है. यह सब होने के बाद हीं किसी जवान को कहीं पर ड्यूटी दी जाती है. सूत्रों ने बताया कि अगर होमगार्ड जवान मुरारी सिंह की मेडिकल जांच में मानसिक संतुलन खराब होने से संबंधित रिपोर्ट आती है तो होमगार्ड कार्यालय पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो जायेगा. कारण कि महानिदेशक के स्तर से यह स्पष्ट किया जा चुका है कि जवानों की शारीरिक क्षमता, मानसिक जागरूकता की जांच के बाद हीं ड्यूटी देना है. — जवानों की ड्यूटी में गड़बड़ी वरीय अधिकारी का आदेश है कि एक जवान को दो माह हीं ड्यूटी देना है. यानी चक्रवार इस तरह से ड्यूटी देना है कि काम करने को इच्छुक सभी होमगार्ड जवानों को ड्यूटी करने का मौका मिले, लेकिन नियमों को ताक पर रख कर भी ड्यूटी दी जाती है. प्रभात खबर ने इसके तह में जा कर पड़ताल की तो यह सामने आया कि कई जवान वर्षों से लगातार ड्यूटी कर रहे है, जबकि ऐसा नहीं होना है. — क्या है ड्यूटी का स्पष्ट आदेश सूत्रों ने बताया, गृह रक्षावाहिनी के महानिदेशक ने पूर्व में जारी पत्र में यह स्पष्ट कहा था कि किसी भी होमगार्ड जवान को दो माह से अधिक अवधि तक के लिए एक हीं स्थान पर नहीं रखा जायेगा. अगर किसी विशेष कारण/आदेश से किसी जवान को दो माह से अधिक लगातार प्रतिनियुक्ति पर रखा जाता है तो जिला समादेष्टा का यह दायित्व होगा कि प्रत्येक माह के 10 तारीख तक वैसे गृहरक्षकों की सूची विशेष कारण/आदेश सहित राज्य मुख्यालय को उपलब्ध करायेंगे. ताकि इसकी समीक्षा कर अपेक्षित निर्देश दिया जा सके. हालांकि उक्त निर्देश का अक्षरस: पालन नहीं किया जा रहा है. — 11-12 वर्षों तक ड्यूटी का रिकार्ड होमगार्ड विभाग के अधिकारी ड्यूटी देने के मामले में कोई गड़बड़ी नहीं होने का लाख दावा करें, पर यह सच्चाई है कि अधिकारी व कर्मियों की मिलीभगत से ड्यूटी का एक बड़ा खेल चलता आ रहा है. इसके कई उदाहरण है. एक सबसे गंभीर उदाहरण होमगार्ड जवान किशोरी महतो है. उसे ड्यूटी देने के लिए तत्कालीन कई जिला समदेष्टा नियमों को ताक पर रखते चले गये. इसी का नतीजा रहा कि उक्त जवान वर्ष 2004 से अब तक लगातार ड्यूटी कर रहा है. प्रभात खबर के पास वर्ष 2004 से सितंबर 11 तक लगातार उसके ड्यूटी पर रहने का सबूत भी है. किशोरी महतो डुमरा थाना में वर्ष 2004 से 07 तक, 2007 से अगस्त 10 तक मेहसौल ओपी में ड्यूटी किया. अगस्त 10 से जनवरी 11 तक डीएसपी मुख्यालय के यहां रहा तो वहां से हटते हीं जनवरी 11 से अप्रैल 11 तक फिर डुमरा थाना में ड्यूटी किया. पुलिस केंद्र में अप्रैल 11 से सितंबर 11 तक रहा. उसके बाद वह किस-किस जगह ड्यूटी किया, का पता तो नहीं चल सका है, पर वर्तमान में वह डीटीओ कार्यालय में कार्यरत है. जिला समादेष्टा कहते हैं कि किशोरी महतो की डीटीओ कार्यालय में ड्यूटी के दो माह शीघ्र पूरा होने वाला है. दो माह से अधिक अब ड्यूटी नहीं करने दिया जायेगा. — समाहरणालय में भी तीन जवान समाहरणालय में भी होमगार्ड के तीन जवान वर्षों से ड्यूटी कर रहे हैं. कतिपय कारणों से दो माह ड्यूटी वाले नियम को उक्त तीनों जवानों के लिए कथित तौर पर शिथिल कर दिया गया है. इस बाबत जिला समादेष्टा हर्षवर्धन कहते हैं कि वरीय अधिकारी अगर कहते हैं कि अमुक होमगार्ड जवान की कार्यशैली बेहतर है तो उसे संबंधित जगह छोड़ दिया जाता है. हालांकि वे इस बात को टाल गये, जिसमें महानिदेशक की अनुमति के बाद हीं एक स्थान पर दो माह से अधिक ड्यूटी देने की बात कही गयी है.

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