ओपी पुलिस का तीसरा कारनामा उजागर
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मेहसौल ओपी पुलिस ने दलित युवक पर ठोक दिया फर्जी केस
ओपी पुलिस का तीसरा कारनामा उजागर 29 जनवरी को भारत बंद के दौरान हुआ था धरना-प्रदर्शन ओपी प्रभारी पर कार्रवाई को लेकर एसपी पर टिकी है नजर रंजीत ने एसपी को आवेदन देकर न्याय की लगायी गुहार सीतामढ़ी : वर्दी का नाजायज फायदा उठाने को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मेहसौल ओपी प्रभारी रजा […]
29 जनवरी को भारत बंद के दौरान हुआ था धरना-प्रदर्शन
ओपी प्रभारी पर कार्रवाई को लेकर एसपी पर टिकी है नजर
रंजीत ने एसपी को आवेदन देकर न्याय की लगायी गुहार
सीतामढ़ी : वर्दी का नाजायज फायदा उठाने को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मेहसौल ओपी प्रभारी रजा अहमद का तीसरा कारनामा उजागर हुआ है.रसूखदारों के ईशारे पर उन्होंने रंजीत दास नामक एक दलित युवक पर फर्जी केस ठोक दिया हैं.
दिलचस्प यह भी है कि ओपी प्रभारी के जिम्मेदार पद पर रहते हुए भी उन्होंने नामजद आरोपितों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 लगाया है, जो उन्हें लगाने का अधिकार नहीं हैं. इससे सहज अंदाजा लगाया जा ओपी प्रभारी किस तरह अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं.
यह जानकारी मिलने के बाद रीगा थाना अंतर्गत भवदेपुर गांव निवासी कैलास दास के पुत्र रंजीत दास ने एसपी को एक आवेदन देकर ओपी प्रभारी की करतूत से वाकिफ कराते हुए न्याय की गुहार लगायी है. ऐसे में ओपी प्रभारी के फर्जी केस से पीड़ित के साथ-साथ आमलोगों की नजर अब एसपी के स्तर से होने वाली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं.
कांड के साथ संलग्न फोटोग्राफी में रंजीत नहीं: इधर रंजीत का कहना है कि सीएए व एनआरसी का विरोध एक खास संप्रदाय के लोगों द्वारा किया जा रहा हैं. उस विरोध प्रदर्शन में उसके शामिल होने के अभियोग का कोई औचित्य नहीं हैं. चूंकि उस कानून से उसका कोई लेना-देना नहीं हैं. कांड के प्राथमिकी के साथ आरोपितों की फोटो भी संलग्न हैं.
जिसमें वह नहीं हैं. मेहसौल चौक पर अनेकों सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, जिसको देखने से साबित हो जायेगा कि वह घटनास्थल पर नहीं हैं. गरीब दलित जानकर उसे परेशान किया जा रहा है. जिसका कारण है कि उसके गांव के एक रसूखदार व्यक्ति के ईशारे पर उसे फंसाया जा रहा है. जिससे पूर्व से विवाद चल रहा है.
धारा 144 लगा ही नहीं तो उल्लंघन कैसे :प्रभात पड़ताल में सदर एसडीओ ऑफिस से जो जानकारी मिली है कि उसके अनुसार फौकानिया व मौलवी परीक्षा को लेकर 22 जनवरी से एक फरवरी तक परीक्षा दिवसों को सात बजे पूर्वाहन से छह बजे अपराह्न तक धारा 144 लगाया गया था. जिन पांच परीक्षा केंद्रों पर धारा 144 लगाया गया था, वहां से 500 गज की परिधि में मेहसौल चौक नहीं आता है, जहां धरना-प्रदर्शन हो रहा था. अब सवाल उठता है कि जब धारा 144 लगा हीं नहीं तो प्राथमिकी में उल्लंघन करने की धारा 188 कैसे लग गया?
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