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न बढ़ रही आमदनी, न शहरवासियों को मिल रहीं सुविधाएं

आमदनी बढ़ाने व शहर को व्यवस्थित करने के प्रति नगर परिषद प्रशासन लापरवाह टैक्स फ्री चल रहे मोबाइल टॉवर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, बैनर-पोस्टर व फुटपाथी दुकान सीतामढ़ी : जनता के टैक्स से राज-काज चलाने व राष्ट्र के विकास की परंपरा सदियों पुरानी है. यदि कर वसूली में ही लापरवाही कर दी जाये, तो राष्ट्र तथा राष्ट्र […]

आमदनी बढ़ाने व शहर को व्यवस्थित करने के प्रति नगर

परिषद प्रशासन लापरवाह
टैक्स फ्री चल रहे मोबाइल टॉवर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, बैनर-पोस्टर व फुटपाथी दुकान
सीतामढ़ी : जनता के टैक्स से राज-काज चलाने व राष्ट्र के विकास की परंपरा सदियों पुरानी है. यदि कर वसूली में ही लापरवाही कर दी जाये, तो राष्ट्र तथा राष्ट्र की जनता का विकास कैसे होगा‍?
यह माकूल सवाल स्थानीय नगर परिषद पर उठना इसलिए लाजिमी हो जाता है कि नगर की जनता से नप द्वारा टैक्स तो वसूली जाती है, लेकिन उन्हें शहरों वाली सुविधाओं की दरकार है. बरसात में जलजमाव से परेशानी तो अन्य महीनों में जाम, गंदगी, बदबू, सार्वजनिक शौचालयों तथा यूरिनल का अभाव समेत कई समस्याओं का सामना करना शहरवासियों का नसीब चुका गया है. नगर के बुद्धिजीवी वर्गों की राय में नप के पास आमदनी बढ़ाने के अनेक विकल्प मौजूद है, लेकिन नप अधिकारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा इच्छा शक्ति नहीं दिखाने के चलते न तो नप की आमदनी बढ़ पा रही है और न ही शहर व्यवस्थित हो पा रहा है.
फ्री चल रहे तीन दर्जन मोबाइल टावर
शहर में करीब तीन दर्जन से अधिक मोबाइल टॉवर वर्षों से टैक्स फ्री चल रहा है. जबकि, प्रत्येक मोबाइल टॉवर से 40 हजार रुपये निबंधन शुल्क व सालाना 10 हजार रुपये किराया के रूप में राजस्व की वसूली की जानी है. इस तरह मोबाइल टॉवर से नप को सालाना करोड़ों रुपये राजस्व का चूना लग रहा है.
बगैर निबंधन चल रहीं सैकड़ों व्यावसायिक प्रतिष्ठानें : इसी तरह शहर में सैकड़ों व्यावसायिक प्रतिष्ठानें भी टैक्स फ्री चल रही है. कुछ माह पूर्व नप प्रशासन द्वारा सख्ती दिखायी गयी थी, लेकिन व्यापारियों पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ और अपवाद को छोड़ दें तो कोई भी व्यापारी अपनी दुकान का निबंधन कराने में रुचि नहीं दिखायी. बैनर-पोस्टर से भी नप को टैक्स वसूलना है. कई बार नप के अधिकारी व जनप्रतिनिधि इस पर चर्चा भी की, लेकिन मामला हर बार की तरह ठंडा बस्ता में डाल दिया गया.
इस संबंध में ईओ दीपक झा का कहना है कि टैक्स वसूलना तो है, लेकिन स्थानीय बोर्ड द्वारा अब तक शुल्क का निर्धारण कर इस पर ठोस पहल नहीं किया गया है, जिसके चलते बैनर-पोस्टर लगाने वालों पर सख्ती नहीं बरती जा रही है.

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