लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सदर ने की है कार्रवाई
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आर्थिक दंड के साथ होगी प्रशासनिक कार्रवाई
लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सदर ने की है कार्रवाई आम जनता की समस्याओं के प्रति चारों थानाध्यक्ष गंभीर नहीं सीतामढ़ी : आम जनता की समस्याओं के निदान के प्रति चार थानाध्यक्ष कितना गंभीर है, इसका खुलासा लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सदर के अलग-अलग चार फैसलों से होता है. मामले की सुनवाई के दौरान उक्त चारों […]
आम जनता की समस्याओं के प्रति चारों थानाध्यक्ष गंभीर नहीं
सीतामढ़ी : आम जनता की समस्याओं के निदान के प्रति चार थानाध्यक्ष कितना गंभीर है, इसका खुलासा लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सदर के अलग-अलग चार फैसलों से होता है.
मामले की सुनवाई के दौरान उक्त चारों थानाध्यक्ष न तो एक भी तिथि पर अपना पक्ष रखने पहुंचे और न ही अपने प्रतिनिधि के माध्यम से कोई प्रतिवेदन भेजे.
थानाध्यक्षों की उक्त कार्यशैली पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने कड़ी आपत्ति जतायी है. साथ ही चारों पर पांच-पांच हजार रुपये आर्थिक दंड लगाने के साथ अधिनियम की धारा 8(3)(F) के तहत एसपी से प्रशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की है. यह कार्रवाई रून्नीसैद्पुर, बैरगनिया, रीगा व नगर थाना के थानाध्यक्ष पर की गयी है.
जमीन पर अवैध कब्जा : केस एक: रून्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के बलिगढ़ गांव निवासी सेवक साह ने वाद दायर कर शिकायत की थी कि पर्चा वाली उसकी जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है. मामले के निष्पादन के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने रून्नीसैद्पुर थानाध्यक्ष को नोटिस भेजा. इस बीच, सुनवाई के लिए बार-बार तिथि निर्धारित की गयी, लेकिन थानाध्यक्ष न तो उपस्थित होकर कोई जवाब दिये और न ही कोई प्रतिवेदन ही भेजे. इसी कारण आर्थिक दंड लगाया गया है.
सामूहिक बलात्कार का मामला: केस दो: बैरगनिया थाना क्षेत्र के बैरगनिया गांव की 12 वर्षीया एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में पुलिसिया जांच धीमा होने को लेकर गांव की एक महिला ने शिकायत की थी. इस गंभीर मामले के प्रति बैरगनिया थानाध्यक्ष की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे सुनवाई की निर्धारित तिथियों को न तो उपस्थित हुए थे और न कोई प्रतिवेदन ही भेज सके थे. अंततः लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने उनपर पांच हजार आर्थिक दंड लगाने के साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की भी अनुशंसा की है.
निर्दोष को फंसाने का मामला: केस तीन: रीगा थाना क्षेत्र के रामनगरा निवासी रामनाथ प्रसाद ने शिकायत की थी कि थाना कांड संख्या-308/18 में निर्दोष लोगों को फंसा दिया गया है. सुनवाई की तय तिथियों को न तो रीगा थानाध्यक्ष अपना पक्ष रखने पहुंचे और न ही निराकरण प्रतिवेदन समर्पित कर सके. इस बाबत लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने एसपी को रिपोर्ट कर दी थी.
एसपी द्वारा रीगा थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण भी पूछा गया था. साथ ही लोक प्राधिकार में जवाब/प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया था. एसपी के आदेश का भी असर नहीं पड़ा. यानी रीगा थानाध्यक्ष सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए.
जान-माल की सुरक्षा का मामला: केस चार: नगर थाना क्षेत्र के जानकी स्थान निवासी रामशंकर प्रसाद ने जान-माल की क्षति की बावत परिवाद दायर किया था. इसको लेकर नगर थानाध्यक्ष को नोटिस भेजा गया. 28 फरवरी 19, 28 मार्च 19, 25 अप्रैल 19, 16 मई 19, 21 जून 19, 27 जून 19, 18 जुलाई 19, 08 अगस्त 19 एवं 05 सितंबर 19 को मामले की सुनवाई की तिथि तय की गयी थी, लेकिन एक भी तिथि को नगर थानाध्यक्ष पक्ष रखने नहीं आये. इस कारण उनपर भी पांच हजार रुपया आर्थिक दंड लगाया गया है.
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