सैलरी का 30 प्रतिशत हिस्सेदार बनाकर दुल्हन के दर्जे से वंचित रखने का भी रखा था शर्त
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शादी के पहले ही पत्नी का दर्जा देने से इनकार
सैलरी का 30 प्रतिशत हिस्सेदार बनाकर दुल्हन के दर्जे से वंचित रखने का भी रखा था शर्त शेखपुरा : दहेज विवाद के पेंच में फंसे शादी समारोह के बीच जयमाला के लिए पहुंचे दूल्हे ने उस वक्त वहां मौजूद सैकड़ों लोगों को स्तब्ध कर दिया. जब उसने शादी होने के बाद भी दुल्हन को पत्नी […]
शेखपुरा : दहेज विवाद के पेंच में फंसे शादी समारोह के बीच जयमाला के लिए पहुंचे दूल्हे ने उस वक्त वहां मौजूद सैकड़ों लोगों को स्तब्ध कर दिया. जब उसने शादी होने के बाद भी दुल्हन को पत्नी का दर्जा नहीं देने की बात कह डाली. इतना ही नहीं दुल्हन होने वाली पत्नी के जीवन यापन के लिए अपनी सैलरी 33 प्रतिशत हिस्से का भागीदार बता दिया. दरअसल शेखपुरा के कटारी गांव निवासी अनिल महतो की पुत्री का विवाह बरबीघा के वीरपुर मधेपुर गांव निवासी बालेश्वर प्रसाद के पुत्र राजा रणधीर के साथ तय हुआ था. राजा रणधीर पश्चिम बंगाल के बैंकाक आंध्र में पीओ पद पर कार्यरत है.
निर्धारित समय और तारीख के अनुसार जब शुक्रवार की शाम बारात लेकर दूल्हा शेखपुरा पहुंचा तब शादी, दहेज के पेंच में जाकर फस गया. इस दौरान दहेज लोभी इस दूल्हे से दुल्हन ने शादी से इनकार कर दिया. इस मौके पर काफी मान-मनौव्वल के बाद जब दुल्हन को शादी के लिए राजी दूल्हे को जयमाला के समक्ष लाया गया था वहां भी दहेज में स्कॉपियो लेने की जिद पर डटे दूल्हा शादी के बाद भी दुल्हन को पत्नी का दर्जा किसी सूरत में नहीं देने की बात कह दिया. इस दौरान दूल्हे ने मां और होने वाली पत्नी के लिए से 30-30 प्रतिशत हिस्सा जबकि 40 प्रतिशत राशि पर दुल्हन ने खुद का अधिकार रखने का शर्त रख दिया. दहेज लालची दूल्हे के इस बात से एकबार फिर लड़की पक्ष के लोगों ने भी शादी से साफ इंकार कर दिया. आखिरकार दूल्हे और बारात को मंडप से बिना विवाह के ही बैरन वापस लौट जाना पड़ा.
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