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सरकार नहीं चाहती है पिछड़ों का विकास

एकंगरसराय : एकंगरसराय में पिछले दिनों अति पिछड़ा और पिछड़ा को लेकर जो हंगामा हुआ था उस पर आज अति पिछड़ा और पिछड़ा समुदाय के लोगों के साथ बैठक करने के बाद भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार सरकार अति पिछड़ा और पिछड़ा विरोधी है. सबसे पहले उन्होंने अति पिछड़ा और […]

एकंगरसराय : एकंगरसराय में पिछले दिनों अति पिछड़ा और पिछड़ा को लेकर जो हंगामा हुआ था उस पर आज अति पिछड़ा और पिछड़ा समुदाय के लोगों के साथ बैठक करने के बाद भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार सरकार अति पिछड़ा और पिछड़ा विरोधी है. सबसे पहले उन्होंने अति पिछड़ा और पिछड़ा पढ़े नहीं इसलिए छात्रों की छात्रवृत्ति को बंद कर दिया. जिससे छात्र आज पढ़ नहीं पा रहा है. उन्होंने कहा कि जदयू के महागठबंधन के लोग चाहते हैं

कि अति पिछड़ा और पिछड़ा के बच्चे नहीं पढ़े जिससे उनके महागठबंधन के साथ रहे. अगर इन वर्गों के बच्चे पढ़ जायेंगे तो उनके साथ नहीं रहेंगे. इसी ओछी सोच के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानबूझ कर इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ा कर छात्रवृत्ति को बंद कर दिया है. उन्होंने कहा कि पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री ने पूरजोर विरोध किया और कहा कि पिछड़ा और अति पिछड़ा के लोगों को संवैधानिक दर्जा देने की जरूरत नहीं है.

जबकि केंद्र सरकार की नीति है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पहले से ही आयोग गठित है, जिसे संवैधानिक दर्जा दिया हुआ है और उसी के तर्ज पर पिछड़ा आयोग को भी संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 36 हजार पिछड़ा वर्ग आयोग को शिकायत मिली लेकिन संवैधानिक दर्जा नहीं होने के कारण सिर्फ 34 मामले ही सरकार निबटा पायी. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की पार्टियां वोट के समय इन वर्गों के सबसे नजदीक हो जाती है और जैसे ही चुनाव खत्म होता है इन वर्गों को तुम कहां, मैं कहां का नारा महागठबंधन लगा कर किनारा कर लेती है.

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