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शैलपुत्री की पूजा में लीन रहे श्रद्धालु

नवरात्र. कलश स्थापन के साथ ही मां शेरावाली की आराधना में डूबे लोग, सुवािसत हुआ माहौल शिवहर : नवरात्र के प्रथम दिन जिले के विभिन्न पूजन स्थलों पर कलश स्थापना के साथ श्रद्धालु भगवती शैलपुत्री की पूजा में लीन रहे.कटसरी गाव में हर साल की तरह इस वर्ष भी भव्य मूर्ति का निर्माण किया गया […]

नवरात्र. कलश स्थापन के साथ ही मां शेरावाली की आराधना में डूबे लोग, सुवािसत हुआ माहौल

शिवहर : नवरात्र के प्रथम दिन जिले के विभिन्न पूजन स्थलों पर कलश स्थापना के साथ श्रद्धालु भगवती शैलपुत्री की पूजा में लीन रहे.कटसरी गाव में हर साल की तरह इस वर्ष भी भव्य मूर्ति का निर्माण किया गया है. इस बार 11 दिनों के पूजा को देखते कटसरी गांव के श्रद्धालुओं द्वारा खास इंतजाम किये है .यहां 10 दिन दुर्गा सप्तसती की अखंड पाठ की व्यवस्था की गयी है.मदिर परिसर में 200 मीटर के परिधि में लगातार धूप-दिप अगरबती जलाने की व्यवस्था है.
पूजा के दौरान सुबह शाम भव्य आरती किया जा रहा है.प्रथम दिन सैकड़ों भक्तों ने सुबह की आरती में भाग लिया.कटसरी गाव में 1980 से शांतिपूर्ण पूजा ग्रामीणों व पूजा समिति के सदस्यों द्वारा की जा रही है. सप्तमी,अष्टमी ,नौंवी और दशमी को सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जायेगा.ग्रामीणों के सहयोग से हर साल मूर्ति पर 80हजार के आसपास खर्चा किया जाता है. पूजा पंडित शशि नंदन के द्वारा कराया जाता है. पूजा को लेकर सड़क के दोनों ओर आकर्षक पंडाल भी बनाया गया है .
कटसरी झा टोला में दूर -दराज में भक्तों मां के दर्शन करने आते है. कहा जाता है कि यहां सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं .दुर्गा पूजा समिति के सदस्य सुजीत कुमार झा,मोहन मिश्रा,सतीश झा, बामदेव झा, अखिलेश झा, समीर कुमार झा, सुमित मिश्रा, चूनु ठाकुर,सोनू ठाकुर अन्य लोग 24 घंटे पूजा मंडप के पास श्रद्धालुओं के सेवा में सक्रिय रहे. उधर डुमरी कटसरी प्रखंड के फुलकहां मध्य विद्यालय स्थित पूजन स्थल पर भी शनिवार को श्रद्धालुओंं की भीड़ देखी गयी.
यहां 251 कुवांरी कन्याओं ने कलश यात्रा निकाला है. बताया जाता है कि 80 के दशक सेे यहां भगवती दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है. तत्कालीन मुखिया बिजली सिंह ने यहां भगवती दुर्गा की पूजा अर्चना प्रारंभ करायी थी. वर्तमान में पूजा समिति के अध्यक्ष राजकुमार के देख रेख में भगवती दुर्गा की पूजा अर्चना की गयी. स्थानीय मुखिया बसंत कुमार का पूजा में सहयोग मिल रहा है. उधर बहुआरा गांव भी भगवती दुर्गा के पूजा केे दौरान वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच भक्ति रस से सराबोर नजर आया.इधर पुरनहिया प्रतिनिधि के अनुसार नवरात्रा पूजा पुरी श्रद्धा व भक्ति के साथ शनिवार से प्रारंभ हो गया है.पूजा-अर्चना से पूर्व विभिन्न पूजा समितियो यथा बसंत जगजीवन,पुरिनहया, अशोगी,
परसौनी गोप,बेदौल आदम के गांवो से सिर पर कलश रख मां का जयघोष करते हुए सैकंडों की संख्या मे कुंवारी कन्याओ द्वारा भव्य कलश शोभा यात्रा निकाली गई. बागमती नदी के अदौरी घाट से बेदौल आदम व बसंत जगजीवन एवं पिपराही घाट से परसौनी गोप व पुरिनहया के पुजा समिति से कन्याओं ने कलश में पवित्र जल भरकर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा पंडालों मे रखा .तत् पश्चात शास्त्रोक्त मंत्र के साथ मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आराधना की. इसके साथ ही पूरा वातावरण पुष्प व अगरबतियों के मोहक सुगंध तथा मां के भक्तिमय जयघोष से गुंजायमान होता रहा.
कलश पर जलता दीपक मां जगदंबा का प्रतीक : पुपरी. भक्ति भाव के साथ की शनिवार से नवरात्रा शुरू हो गया है. कलश के महत्व के संदर्भ में आचार्य शक्तिनाथ पाठक, जय नारायण झा व रामकृष्ण झा ने बताया कि तात्विक विचार से पृथ्वी तत्व के अधिपति शिव हैं. जल तत्व के अधिष्ठदाता गणपति हैं, इसलिए शुद्ध जल से परिपूर्ण कलश पर दीप ज्योति प्रज्वलित की जाती है.
अग्नि तत्व की अधिष्ठदात्री दुर्गाजी हैं, इसलिए कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा अपने पुत्र गणेश व पति शिव समेत विराजमान हो जाती हैं. तात्विक दृष्टी से कलश के उपर जल रही दीप ज्योति मां जगदंबा की प्रतीक ही नहीं प्रतिनिधि भी हैं. इसलिए नवरात्रा में अखंड ज्योति जलायी जाती है. ताकि संपूर्ण नवरात्रा देवी मां घर में रहे.
निकाली कलशयात्रा, मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना शुरू
पुरनहिया में कलश यात्रा निकालतीं कन्याएं, कटसरी में बनकर तैयार पूजा पंडाल एवं कटसरी में मूर्ति निर्माण में जुटा मूर्तिकार.

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