शिवहर : जिले का सदर अस्पताल जहां जीवन रक्षक दवाओं के अभाव से जूझ रहा है. बीमारियों की दवा लोग बाहर से खरीदने को लाचार है. ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक इलाज से पहले मरीज को बता दे रहे हैं. कि सदर अस्पताल में दवा का अभाव है. दवा बाहर से खरीदनी पड़ सकती है.
शनिवार को ड्यूटी पर मौजूद एक चिकित्सक पेट दर्द से पीड़ित मरीज को कुछ इसी तरह की जानकारी दे रहे थे. सूत्रों की माने तो सदर अस्पताल में इंट्राकेट, आइवी सेट,आरएल,डीएनएस समेत अन्य कई जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है.मानव अस्पताल जहां दवा के अभाव से जूझ रहे हैं. तो पशु चिकित्सालय की हालत भी दवा के अभाव में महज चिकित्सा की खानापूर्ति तक सिमट कर रह गयी है. वर्ष 2012 का पशु गणना का रिपोर्ट बताता है कि जिले में सबसे अधिक 87 हजार 728 बकरियां है.
फिलहाल बकरियां वायरल डिजीज पीपीआर से पीड़ित है. बड़े पैमाने पर इस रोग से बकरियों की मृत्यु हो रही है. किंतु विभाग के पास इसकी दवा तक उपलब्ध नहीं है. भ्रमणशील पशु चिकित्सक प्रवेश कुमार दोनों हाथ खड़े कर दिये. कहा इसकी दवा मौजूद नहीं है. जिले में गाय 50 हजार 638 है. जबकि भैंसों की संख्या 42 हजार 693 है. किंतु पशु चिकित्सालय में कीड़ा की दवा वॉण्ड, भेटजोल, एंडेस्टीन व डायरिना के साथ पाचक बतिसा ही उपलब्ध है. पशु चिकित्सक की माने तो इस मौसम में बुखार,ब्लेक्वाटर, अलघांटू व निमोनिया रोग का खतरा रहता है. जिसकी दवा पशु चिकित्सालय में नहीं है.
ग्रामीण छतौनी निवासी वेद प्रकाश सिंह, केदार सिंह प्रभारी जिला पशुपालन पदाधिकारी के समक्ष नरवारा में पदस्थापित कर्मी द्वारा दवा बेचे जाने की शिकायत करते देखे गये. जो पूरी व्यवस्था की पोल खोलती नजर आती है. कहा कि सरकारी दवा प्राइवेट मेडिकल हॉल से धड़ल्ले से बेरोक टोक बेची जा रही है. मौके पर अवर पशु चिकित्सा पदाधिकारी सह प्रभारी जिला पशु पालन पदाधिकारी डॉ प्रमोद प्रसाद मेहता ने कहा कि एक भी दवा प्राइवेट से बेचे जाने की बात साबित करें कार्रवाई होगी. पशु चिकित्सालय में दवा के अभाव के बाबत कहा कि करीब आठ लाख रुपये दवा खरीद के लिए उपलब्ध कराये गये हैं. किंतु एक बार में 60 हजार से अधिक दवा खरीद का निर्देश नहीं है. जिससे समस्या उत्पन्न हो रही है.
दो चिकित्सकों के सहारे चल रहे सात पशु चिकित्सालय
जिले में सात पशु चिकित्सालय स्थापित किये गये है. जिसके पशुओं के इलाज के लिए मात्र दो पशु चिकित्सक पदस्थापित किये गये हैं. जो पूरी व्यवस्था की पोल खोलती नजर आती है. जिले में पिपराही, शिवहर,लालगढ़, नयागांव, तरियानी छपड़ा व नरवारा में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय है. किंतु इसकी बागडोर मात्र दो चिकित्सकों के हाथ में है. ऐसे में पशु चिकित्सा महज खानापूर्ति तक सिमट कर रह गयी है. प्रभारी जिला पशु पालन पदाधिकारी की मानें तो 14 स्वीकृत चिकित्सक के विरुद्ध मात्र दो चिकित्सक पदस्थापित है. प्रखंडों में भी 10 चिकित्सक की आवश्यकता है. चार पशुधन सहायक चाहिए. जबकि मात्र एक पशुधन सहायक है. 18 कर्मी व चार लिपिक चाहिए. जो नहीं है. इधर एक सवाल पर भ्रमणशील पशु चिकित्सक प्रवेश सिंह भड़क गये. कहा कि गव्य विकास योजना में कोई लेन देन नहीं है. कहा चापाकल से पानी नहीं आता है. किसी तरह पानी निकाल कर पानी पी रहे हैं इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. भवन की साफ सफाई चिकित्सक करते हैं. इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. दो डॉक्टर सात पशु चिकित्सालय को कैसे संभालते होंगे. डॉक्टर की पीड़ा को कोई जानने वाला नहीं है.
मतदान के दौरान बवाल किया तो खैर नहीं
तैयारी. अंतिम चरण के मतदान को लेकर सुरक्षा कड़ी, 30 मई को होना है डुमरा प्रखंड में मतदान