बैठक में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को मरीजों की पहचान के लिए 15 मई तक का मिला समय फोटो-22- फाइलेरिया पीड़ित मरीजों को चिह्नित करने के लिए बैठक करते चिकित्सक. प्रतिनिधि, सासाराम सदर जिला में फाइलेरिया उन्मूलन को ले जिला स्वास्थ्य समिति लगातार कार्य कर रही है. यह एक लाइलाज बीमारी हैं. जिला में फाइलेरिया से सैकड़ों लोग दिव्यांग हो चुके हैं. फाइलेरिया से दिव्यांग हुए मरीजों को प्रमाण पत्र देने के लिए विभाग ने चिन्हित कर रहा है. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संख्या 16. 09.2024 डीडी 3, 8 जुलाई 2015 के अंतर्गत हाथीपांव से दिव्यांग मरीजों का मूल्यांकन किया गया था. जिसके तहत रोहतास जिला के फाइलेरिया से पीड़ित दस मरीजों को दिव्यांगता का प्रमाण पत्र मिला था. लेकिन, बाद यह अभियान एक धीमी हो गया. ऐसे में सैकड़ों मरीजों को आज भी प्रमाण पत्र नहीं मिला है. इससे वे सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं से वंचित हैं. इसको लेकर मंगलवार को एसीएमओ डॉ अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक की गई. जिसमें जिला के मरीजों की स्थिति की समीक्षा की गयी. इस दौरान जिला में फाइलेरिया उन्मूलन की धीमी रफ्तार व मरीजों को चिन्हित करने में भी पीएचसी की खराब स्थिति पर चिंता व्यक्त की गयी. चिंताजनक स्थिति को देख एसीएमओ ने चिकित्सा पदाधिकारियों को फटकार लगाते हुए तत्काल पत्र जारी कर मरीजों को चिन्हित कर 15 मई तक उनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया. हाथी पांव से निबटने के लिए वीडीसीओ भी रहें तैयार बैठक में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ असित रंजन ने सभी वीडीसीओ को निर्देश देते हुए कहा कि सभी प्रखंडों में जनप्रतिनिधियों, पंचायती राज के कर्मियों के साथ जागरूकता अभियान चलाने के साथ सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों से समन्वय के साथ बैठक कर हाथीपांव पाव के मरीजों की पहचान करें. जितना जल्द हो मरीजों को चिन्हित कर ऑनलाइन पंजीयन कराएं ताकि उन्हें निःशक्तता प्रमाण पत्र दिलाया जा सके. मौके पर वीडीसीओ रौशन कुमार सिंह, संजीत कुमार, गौरव कुमार, मानसी भारती, पीरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीडर (संचारी रोग) हेमंत कुमार, प्रोग्राम ऑफिसर कृष्णकांत चौबे आदि मौजूद थे.
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