राजपुर. क्षेत्र अंतर्गत काव नदी उफान पर है. नदी के जलस्तर में वृद्धि हो जाने से क्षेत्र के दर्जनों गांवों के सैकड़ों एकड़ खेत जलमग्न हो गया है. नदी का पानी खेत में फैलकर तेज धारा में बहने से किसानों द्वारा खेतों लगाये गये धान के पौधे डूबकर बर्बाद हो रहा है. इसे ले किसान चिंतित हैं. काव नदी में बाढ़ आ जाने से कपसिया, हबबुपूर, करमकीला, सुअरा, कुशधर, छनहा, प्रताप गंज, राजपुर, मिश्रवलिया, जिनोरिया, पकड़ी, रामुडीह, छपरा सहित अन्य गांवों के सैकड़ों एकड़ खेत को बाढ़ अपने आगोश में ले लिया है. सुअरा के किसान रामेश्वर तिवारी, कुशधर के लाल बाबू चौधरी, उमेश चौधरी, छनहा बिहारी यादव, विशुनपुर के सरजू यादव, प्रताप गंज अनिल चौधरी, पकड़ी मदन मोहन तिवारी सहित अन्य किसानों ने बताया कि काव नदी की सफाई तथा तटबंधों की मरम्मत के लिए अधिकारी व सांसद, विधायक से कई बार लिखित व मौखिक रूप से कहा गया, लेकिन किसानों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. वर्ष 2022-23 में मनरेगा के तहत काव नदी की सफाई करायी गयी, लेकिन धरातल पर काम कम हुआ. कागज में ही पंचायत प्रतिनिधियों व अधिकारी द्वारा लाखों रुपये का बंदरबाट कर किसानों को अपने भाग्य पर रोने के लिए छोड़ दिया. किसानों ने कहा कि मोटर पंप के सहारे खेतों में रोपे गये धान पौधे डूब बर्बाद हो रहा है. खेती काफी खर्चीला हो गया है. किसी तरह कर्ज महाजन कर किसानों द्वारा खेतों की ट्रैक्टर से जुताई व धान की रोपनी की जाती है, लेकिन प्रति वर्ष काव नदी में आ रही बाढ़ किसानों की सोच पर पानी फेर दे रहा है. बाबजूद अधिकारी व जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हैं. प्रमुख कुंती कुंअर ने कहा कि काव नदी के बाढ़ से किसानों को निजात दिलाने के लिए मैंने मनरेगा के तहत काव नदी सफाई की योजना पारित कर कांव नदी से जुड़े पंचायत में नदी की सफाई करायी थी. जहां सफाई हुई उस क्षेत्र के किसानों को बाढ़ से राहत मिली है. लेकिन इस बार की काव नदी के जलस्तर में हुई वृद्धि ने डाली गयी मिट्टी को धो डाला. अभी भी काव नदी में सफाई व तटबंध पर काम करने की जरूरत है.
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