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Sasaram news. किशोरों में बढ़ रही अपराध की प्रवृत्ति, नजर रखें अभिभावक

Sasaram news.जिले में दुष्कर्म, अपहरण, ब्लैकमेलिंग व चोरी की घटनाओं में किशोरों (नाबालिग) की संलिप्तता बढ़ती जा रही है. इस तरह के संगीन कांडों में किशोरों की संलिप्तता से अपराध पर लगाम लगाने में पुलिस की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं.

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पुनीत कुमार पांडेय/सासाराम ग्रामीण. जिले में दुष्कर्म, अपहरण, ब्लैकमेलिंग व चोरी की घटनाओं में किशोरों (नाबालिग) की संलिप्तता बढ़ती जा रही है. इस तरह के संगीन कांडों में किशोरों की संलिप्तता से अपराध पर लगाम लगाने में पुलिस की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. किसी सभ्य समाज के लिए यह निश्चित रूप से चिंताजनक स्थिति है. लेकिन, इससे भी अधिक भयावह है, अपराध के दलदल में ऐसे लोगों का फंसना जो न तो पेशेवर अपराधी हैं और न ही अपराध करना उनके लिए कोई मजबूरी है. वे केवल अपने स्टेटस की तुष्टि या अनावश्यक जिद के कारण ऐसे संगीन अपराध कर जा रहे हैं. जो न केवल उनके पूरे जीवन को कलंकित कर दे रहा है, बल्कि समाज और परिवार को भी शर्मसार कर रहा है और समाज ऐसी घटनाओं के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा दे रहा है. इस गंभीर विषय पर समाज को सामने आना होगा. यह समाज का ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए घातक हो सकता है.

केस नंबर एक

20 फरवरी 2025 को धौडाढ़ थाना क्षेत्र के संत अन्ना स्कूल में मैट्रिक की परीक्षा में नकल करने से मना करने पर एक छात्र ने अपने सहपाठी को ऑटो में गोली मार दी. वह डेहरी मुफस्सिल थाना क्षेत्र का रहने वाला था. उसके बाद हत्या आरोपित किशोर को शहर के लखनुसराय से पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

केस नंबर दो

छह मार्च 2025 को बिक्रमगंज अनुमंडल के नटवार बाजार स्थित कई डांस पार्टियों के यहां छापेमारी कर पुलिस ने 41 नाबालिग लड़कियों को बरामद किया था. इसके साथ ही चार विधि विरुद्ध किशोरों को भी पकड़ा था, जो इस कार्य में सहयोग करते थे.

केस नंबर तीन

23 मार्च 2025 को सासाराम मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव में एक किशोरी के साथ दुष्कर्म का आरोप चार लोगों पर लगा था. इनमें तीन नाबालिग थे. इन नाबालिगों को पुलिस ने विधि विरुद्ध माना है. हालांकि, प्राथमिकी दर्ज हुई है, पर ये नाबालिग हैं.

केस नंबर चार

27 मार्च 2025 को करवंदिया थाना क्षेत्र के बसंतपुर गांव से एक युवती को भगाने का मामला हुआ था. 31 मार्च को युवती को पुलिस ने पटना से बरामद कर लिया. इस कांड में भी दो नाबालिगों का हाथ था, जिन्हें पुलिस ने पकड़ा था.

किशोरों की स्थिति पर लोगों के सुझाव

-मौजूदा परिवेश में अभिभावकों को पहले अपने बच्चों से खुलकर बातें करनी चाहिए. बच्चें खामोशी से बाहर ऐसे-ऐसे कार्य कर जाते हैं, जिनका पता अभिभावक नहीं चलता है. कभी-कभी तो किशोर एक-दूसरे को देखकर अनजाने में ही अपराध को अंजाम दे देते हैं. इनमें कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो उच्च वर्ग के रहन-सहन से प्रभावित होकर अपराध की दुनिया को अंगीकार कर लेते हैं. कुछ प्रेम संबंधों में विफलता, कुछ अति उत्साह, कुछ सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन, कुछ मस्ती करने, कुछ अपमान और कुछ प्रतिरोध के आवेश में अपराध कर बैठते हैं. शायद उन्हें मालूम नहीं रहता कि जो ये कार्य किये हैं, वह अपराध है. इस पर समाज को सोचने की जरूरत है.

प्रो जवाहर प्रसाद सिंह, पूर्व प्राचार्य.-किसी तरह की घटना में किशोरों का हाथ होना समाज के लिए चिंता का विषय है. ये घटनाएं समाज को शर्मसार कर रही हैं. आर्थिक युग में बच्चों से अभिभावकों की दूरी परेशानियों का कारण बनती जा रही है. बच्चे अपने दोस्तों के साथ घूमने निकलते हैं या फिर अपराधी के साथ उन्हें पता ही नहीं होता है. जब कोई घटना घटित हो जाती है, तो उसके बाद अभिभावक को पता चलता है. अपने कर्तव्य बोध के कारण वे अपने बच्चे को निर्दोष साबित करने में जुट जाते हैं. जो सही नहीं है. यह गलती परिवार की ही होती है. जो अपने बच्चों पर नजर नहीं रखते. उनके आने जाने का उन्हें पता नहीं होता. वे उन्हें रोकते-टोकते नहीं है. जिसका नतीजा तब सामने आता है, जब उनका बच्चा संगीन अपराध के जुर्म में पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. इस पर प्रत्येक परिवार और पूरे समाज को विचार करने की आवश्यकता है.

राकेश पांडेय, निदेशक इंपीरियल पब्लिक स्कूल, कोचस.

क्या कहते हैं अधिकारी

अपराधी बनने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है. यह संगत का असर होता है. किसी कांड में अगर कोई किशोर पकड़ा जाता है, तो उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है. उसका आपराधिक रिकॉर्ड उसी समय से शुरू हो जाता है. ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें सचेत व सतर्क रहना चाहिए कि हमारा बच्चा किससे मिलता है. किसके साथ रहता है. उसके घर आने जाने का समय क्या है? हम सभी जानते हैं कि संगत का असर पड़ता है. आजकल सोशल मीडिया से किशोर ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. परिवार को ही उन पर नजर रखनी होगी. सोशल मीडिया से भी किशोर को दूर रहने की सलाह देनी चाहिए.

दिलीप कुमार, एसडीपीओ-1, सासाराम.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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