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परीक्षा में तनाव नहीं, समझ और सहयोग की जरूरत : डीइओ

Sasaram news. बच्चों में परीक्षा को लेकर बढ़ते तनाव, साइबर सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को लेकर शुक्रवार को फजलगंज स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में एक दिवसीय संवेदीकरण-सह-उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ.

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परीक्षा में तनाव नहीं, समझ और सहयोग की जरूरत : डीइओडायट में परीक्षा विषयक संवेदीकरण-सह-उन्मुखीकरण कार्यशाला संपन्नफोटो-11- कार्यक्रम का उद्घाटन करते पदाधिकारी व अन्य.प्रतिनिधि, सासाराम ऑफिस बच्चों में परीक्षा को लेकर बढ़ते तनाव, साइबर सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को लेकर शुक्रवार को फजलगंज स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में एक दिवसीय संवेदीकरण-सह-उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) मदन राय, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा रोहित रौशन, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना निशांत गुंजन, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पीएम पोषण योजना रविन्द्र कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा प्रियंका कुमारी, डायट प्राचार्य नीरज कुमार ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया. कार्यशाला की शुरुआत स्कूली बच्चों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर की गई, जिससे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रधानाध्यापक, शिक्षक, और अभिभावकों समेत अन्य आमंत्रितों का स्वागत हुआ.

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस

मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि परीक्षा अब सिर्फ एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानसिक दबाव का कारण बन चुकी है. लेकिन परीक्षा तनाव नहीं है, बल्कि इसके लिए समझ जरूरी है और सभी लोगों का सहयोग भी जरूरी है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा चलाए जा रहे परीक्षा पर्व जैसे अभियान समाज में इस दिशा में चेतना ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद की एक नई शुरुआत होती है.

प्रशासनिक पहलुओं पर अधिकारियों का जोर

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा ने कहा कि बच्चों को तनाव मुक्त शिक्षा देना हम सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने गुड टच-बैड टच, बाल संसद, और मीना मंच जैसे पहलुओं पर भी विस्तार से बात की. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने कहा कि बच्चों में सहानुभूति और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को विकसित करने की आवश्यकता है. वहीं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पीएम पोषण योजना ने परीक्षा को बच्चों के समग्र विकास से जोड़ते हुए रचनात्मक और बाल-केंद्रित शिक्षा को जरूरी बताया. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हर बच्चा अलग होता है, उसकी मानसिकता और ज़रूरतें समझकर ही बेहतर मार्गदर्शन दिया जा सकता है.

अंत में लिया गया संकल्प

कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि स्कूल स्तर पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, परीक्षा तनाव और बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाई जाएगी ताकि हर बच्चा खुले मन से पढ़ सके और जीवन में आगे बढ़ सके. मौके पर डायट के व्याख्याता डॉ पूर्णिमा पांडेय, व्याख्याता डॉ ज्ञान प्रकाश तिवारी, शिक्षा विभाग के एआरपी कृष्ण कुमार राम, एआरपी नसीम आलम, एआरपी प्रभात कुमार, एआरपी सुधीर कुमार, एआरपी पंकज कुमार, एपीओ उज्ज्वल सरकार, एपीओ प्रमोद कुमार सहित सभी प्रखंड से पांच-पांच शिक्षक, एचएम, पांच-पांच अभिभावक सहित अन्य मौजूद थे.

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