नगरा. सरकारी दफ्तरों की लापरवाही का आलम देखना हो तो नगरा प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि और मनरेगा कार्यालय चले आइये. यहां सरकारी कामकाज नहीं, बल्कि लापरवाही, ढीलेपन और मनमर्जी का बोलबाला है. हालात इतने बदतर हैं कि लोग कहने लगे है कि 12 बजे लेट दो बजे भेंट नहीं. अधिकारी दफ्तरों से नदारद रहते हैं और कर्मचारी मनमर्जी से आते-जाते हैं. आम जनता की कोई सुनवाई नहीं और जिम्मेदार बेखबर है. काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है. जिससे आम लोगों को रोज बेवजह परेशानी होती है. लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं. नगरा के कृषि कार्यालय में सुबह साढ़े 10 बजे से ही किसान अपनी समस्याएं लेकर पहुंच जाते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. जिससे किसान भी अब आना जाना छोड़ रहे है. क्योंकि अधिकारी गायब रहते हैं और कर्मचारी अपने हिसाब से आते-जाते हैं. मनरेगा कार्यालय का भी हाल बुरा है. जॉब कार्ड सुधार और नया बनवाने के काम की मांग को लेकर आते हैं, लेकिन वहां कोई सुनने वाला नहीं. कर्मचारियों का रवैया बेहद लापरवाह है और अधिकारी आमतौर पर मौजूद ही नहीं रहते. यहां बताते चले कि गांवों से दूर- दराज से आने वाले किसानों और मजदूरों में भारी आक्रोश है. नगरा, कादीपुर, तुजारपुर, अफौर, अरवा कोठी सहित अन्य जगहों के किसानों ने कहा, पिछले तीन दिनों से चक्कर काट रहा हूं, लेकिन अधिकारी मिल ही नहीं रहे है.
क्या कहते है प्रखंड मुख्यालय आने वाले लोग.
कृषि कार्यालय आये दिन 11 बजे के बाद ही खुलता है. अधिकारियों और कर्मी अपनी मन मर्जी से आते है. जब भी आते हैं, दफ्तर में या तो ताला लगा होता है या फिर कर्मचारी अपने मन से गायब रहते हैं.चितरंजन कुमार सिंहमैं प्रखंड मुख्यालय कृषि से संबंधित लोगों की शिकायत लेकर आया था, लेकिन यहां कोई नहीं था. दो घंटे खड़े रहने के बाद भी कोई नहीं आया. कार्यालय बंद रहने का मतलब कर्मचारी और अधिकारी दोनों मन मर्जी से चलते है. इतनी बड़ी लापरवाही के वजह से आम जनता परेशान है और अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है.रवि प्रकाश
सरकारी दफ्तरों में इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती. अधिकारी और कर्मचारी जनता के पैसों से वेतन लेते हैं, लेकिन जनता को कोई सुविधा नहीं देते. सबंधित विभाग के आला अधिकारी को जल्द से जल्द इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिये, वरना जनता को आंदोलन करना पड़ेगा.मो रेयाजूद्दीनयह पहली बार नहीं है जब कृषि और मनरेगा कार्यालय में लापरवाही देखने को मिली है. यहां का हाल हमेशा ऐसा ही रहता है. अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ वेतन उठाने के लिए आते हैं, जनता के लिए नहीं. अगर जनता के लिए आते तो समय से कार्यालय खुलता.
मुकेश कुमारकृषि और मनरेगा कार्यालय में लापरवाही आम बात हो गयी है. अधिकारी और कर्मचारी अपने हिसाब से आते-जाते हैं. आम जनता को कोई सुविधा नहीं मिलती. अगर यह स्थिति जारी रही. तो हम लोगों को प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करना पड़ेगा.मंजय कुमारक्या कहते हैं बीडीओ
इस अनियमितता की जांच की जा रही है. नगरा कृषि कार्यालय प्रभार में चल रहा, लेकिन किसी न किसी कर्मी को कार्यालय समय से खोलना चाहिए. अगर समय से कार्यालय नहीं खुलता है तो कारवाई होगी.अनुभव कुमार, बीडीओ, नगरा
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