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नगरा क्षेत्र के खेतों में जमा है पानी, धान की कटनी को लेकर किसान चिंतित

मोंथा चक्रवात के प्रभाव से हुई बारिश के करीब 10 दिन बीत जाने के बाद भी एकमा नगर व प्रखंड क्षेत्र के बहुत बड़े हिस्सों में धान के खेतों में पानी जमा है.

एकमा. मोंथा चक्रवात के प्रभाव से हुई बारिश के करीब 10 दिन बीत जाने के बाद भी एकमा नगर व प्रखंड क्षेत्र के बहुत बड़े हिस्सों में धान के खेतों में पानी जमा है. जल निकासी न होने के कारण धान की तैयार फसल को काटने में किसानों को भारी परेशानी हो रही है. खेतों में खड़ी या गिर पड़ी फसल को अधिकांश किसान सिर्फ निहारने को विवश हैं. कुछ किसान पानी में घुसकर धान की बाली वाले फसल के केवल ऊपरी हिस्से को काटने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उसे सुखाकर उपयोग में लाया जा सके. इस काम में उन्हें नुकीले पत्तों या जहरीले कीड़ों के काटने का भी डर रहता है. कुछ जगहों पर पंप के माध्यम से पानी निकालने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन निचले हिस्सों में फसल पूरी तरह डूब चुकी है, जिसे बचाना संभव नहीं है.

आलू और रबी फसल भी प्रभावित होने का खतरा

निचले और ऊपरी इलाकों में खेतों में पानी जमा होने के कारण धान की तैयार फसल बर्बाद हो रही है. साथ ही आलू, प्याज, सरसों, गेहूं, चना और अन्य रबी फसल की खेती पर भी संकट मंडरा रहा है. किसानों का कहना है कि खेतों का पानी सूखने या निकलने में समय लगेगा, जिससे समय पर रबी फसल बोना मुश्किल होगा. किसानों ने बताया कि धान की खेती में लगाई गई उनकी जमा पूंजी बेमौसम बारिश की वजह से डूब गई है. आलू और अन्य रबी फसल की भी खेती प्रभावित होने की संभावना है. इसके कारण घर में खाने लायक राशन नहीं होगा और बाजार से महंगे दाम पर चावल, गेहूं और सब्जियां खरीदनी पड़ेंगी. किसान अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, राशन, दवा और कपड़े जैसी आवश्यक वस्तुएं भी कैसे जुटाएं, इस चिंता में हैं.

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