दिघवारा. दिघवारा नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का आतंक चरम पर है. प्रतिदिन ये कुत्ते आम लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं, जिससे कुत्तों के काटने से पीड़ित हुए लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. नगर पंचायत क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र, हर जगह हालात एक जैसे हैं. सीएचसी दिघवारा में एंटी-रेबीज सुई लेने के लिए हर दिन लगने वाली भीड़ इस बात का प्रमाण है कि क्षेत्र के लोग कुत्तों के इस आतंक से कितने परेशान हैं. नगर पंचायत के 18 वार्डों में कुत्तों के काटने की घटना में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. राईपट्टी, चकनूर, सैदपुर, बरबन्ना और बसतपुर जैसे क्षेत्रों में पीड़ित लोगों की संख्या अधिक है. प्रखंड की 10 पंचायतों में भी कुत्ते का शिकार बने लोगों की संख्या कम नहीं है. कोई बाज़ार में खरीदारी करने गया तो कुत्ते के हत्थे चढ़ गया, तो किसी को देर रात किसी आयोजन से लौटते समय कुत्ते ने काट खाया. स्कूल जाने या स्कूल से लौटने के समय भी स्कूली बच्चों को कुत्तों ने अपना निशाना बनाया है. आवारा कुत्तों के आतंक की भयावहता सरकारी अस्पतालों में एंटी-रेबीज सुई की खपत पर गौर करने से स्पष्ट हो जाती है. सीएचसी दिघवारा में हर दिन औसतन 30 लोगों को एंटी-रेबीज सुई दी जाती है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई की तैयारी
कुत्ते काटने की घटनाओं में वृद्धि होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों से आवारा कुत्तों को हटाने के साथ-साथ उन्हें पकड़कर नसबंदी कराने का निर्देश दिया है. नसबंदी के बाद कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजा जाना है. नगर प्रशासन दिघवारा ने इस दिशा में कदम उठाते हुए कई वार्डों में पोस्टर लगवाते हुए नंबर जारी किए हैं और लोगों से आवारा कुत्तों से जुड़े सुझाव व शिकायतें मांगे हैं. गौरतलब है कि बिहार में बीते साल 2.6 लाख लोग कुत्ता काटने के शिकार हुए थे.क्या कहते हैं चिकित्सा प्रभारी
क्षेत्र में कुत्तों के काटने की घटना बढ़ी है और अस्पताल में एंटी-रेबीज सुई की खपत भी बढ़ी है. उन्होंने आश्वस्त किया कि अस्पताल में सुई की पर्याप्त उपलब्धता है और पीड़ित लोगों को आसानी से सुई उपलब्ध हो जाती है.डॉ रौशन कुमारप्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
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