Bihar Parivahan Vibhag News: बिहार में प्राइवेट गाड़ियों के कमर्शियल इस्तेमाल का खेल अब सरकार के रडार पर आ गया है. ग्रामीण विकास एवं परिवहन मंत्री श्रवण कुमार ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए साफ कहा है कि प्राइवेट गाड़ियों को कमर्शियल उपयोग में लगाने वाले एजेंसियों और वाहन मालिकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
अधिकारियों को दिया निर्देश
शनिवार को छपरा जिले में परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक में मंत्री ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से सरकार को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है, जिसे अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
सरकारी विभागों में भी चल रहा नियमों का उल्लंघन
बैठक में यह खुलासा हुआ कि राज्य के कई जिलों में कुछ एजेंसियां खनन, पर्यटन जैसे सरकारी विभागों, निजी होटलों और अन्य संस्थाओं को व्यावसायिक वाहनों की जगह निजी वाहन उपलब्ध करा रही हैं. यही नहीं, कई निजी वाहन मालिक भी बिना अनुमति के अपनी गाड़ियों को कमर्शियल उपयोग में लगा रहे हैं. मंत्री श्रवण कुमार ने इसे नियमों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए कहा कि व्यावसायिक वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट और परमिट अनिवार्य है.
नियम क्या है ?
- परिवहन विभाग के अनुसार 8 साल से कम पुराने कमर्शियल वाहन हर 2 साल में फिटनेस प्रमाण-पत्र बनवाना होता है.
- 8 साल से अधिक पुराने वाहन को हर साल फिटनेस प्रमाण-पत्र बनवाना होता है.
- स्टेज कैरेज, कॉन्ट्रैक्ट कैरेज, मालवाहक और पर्यटन वाहनों के लिए परमिट जरूरी होता है.
इन प्रक्रियाओं से सरकार को राजस्व मिलता है, लेकिन निजी वाहनों के कमर्शियल इस्तेमाल से सरकारी खजाने को सीधा नुकसान हो रहा है.
त्वरित जांच के निर्देश
मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पूरे मामले की तुरंत जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि नियमों का पालन हो और राज्य का राजस्व सुरक्षित रह सके.
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