छपरा. नगर निगम द्वारा रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से उपलब्ध करायी गयी दुकानों को अब लोग अपनी निजी संपत्ति बना चुके हैं, जिसके कारण अतिक्रमण और अवैध निर्माण की समस्या बढ़ गयी है. नगर निगम ने कुछ मार्केटों में 50-60 दुकानें बनायी थीं, लेकिन अब वहां 300-350 दुकानें बन चुकी हैं. वहीं, जो लोग एक दुकान के लिए पात्र थे, उन्होंने नगर निगम कर्मचारियों को रिश्वत देकर दो मंजिला दुकानें बना ली हैं. इसके अलावा नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माण और दुकानों का भाड़े पर देना खुलेआम जारी है. सरकारी अधिकारी भी इस अनैतिक गतिविधि पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे कानून का उल्लंघन हो रहा है. दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों के आकार में बढ़ोतरी की जा रही है, जिसके कारण जाम और अन्य यातायात समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं.
नगर निगम ने छह बड़े मार्केटों में दुकानें आवंटित की थीं, जिनकी संख्या अब बढ़कर 1200 के आसपास पहुंच चुकी है. इनमें मोना चौक, सरकारी बाजार, गुदरी बाजार, शिल्पीपोखरा, हथुआ मार्केट शामिल हैं. ये दुकानें पहले मात्र 100-200 रुपये प्रति माह के हिसाब से दी जा रही थीं, लेकिन अब इन दुकानों को भाड़े पर देना और बेचना पूरी तरह से गैरकानूनी हो गया है. गुदरी बाजार में स्थित सब्जी की दुकानों का उदाहरण देखा जा सकता है, जहां दुकानदारों ने अपनी दुकानें बेच दी हैं या किराये पर दे दी हैं. इससे लाखों की अवैध कमाई हो रही है और नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से यह समस्या और जटिल हो गयी है. इस स्थिति पर अधिकारियों की चुप्पी और भ्रष्टाचार ने शहरवासियों को परेशानी में डाल दिया है.जांच के लिए आदेश दिये जायेंगे
इसे लेकर जानकारी मिली है की शहर के विभिन्न मार्केट में अवैध रूप से दुकानें बनायी गयी हैं. निर्माण और मरमति कार्य के लिए भी निगम से अनुमति नहीं ली जाती है. नगर आयुक्त को सभी मार्केट में जांच के लिए आदेश दिये जायेंगे.लक्ष्मी नारायण गुप्ता, महापौर, नगर निगम
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