छपरा. सारण में किसानों को खेती के समय खाद के लिए जूझना पड़ता है. प्राकृतिक आपदा से परेशान एक बार फिर आलू और सरसों के लिए डीएपी खाद नहीं मिलने से परेशान है. जबकि विभागीय अधिकारी इस बात का दावा कर रहे हैं कि कहीं भी खाद की कोई कमी नहीं है. हकीकत यह है कि किसान महंगे दाम पर खाद खरीदने को विवश है. अभी यह हाल है तो जब कृषि कार्य के लिए खाद-बीज की आवश्यकता किसानों को पड़ती है, सरकारी गोदामों व कार्यालयों में खाद व बीज समाप्त हो जाता है. हालात यह है कि मोथा चक्रवात में हुई वर्षा के बाद किसानों के कमर टूट चुके है .
गेहूं के लिए भी शुरू हो गयी तैयारी, नहीं मिल रहे खाद
हालांकि खेत में नमी रहने की वजह गेहूं की बोआई लायक तैयार हो गये हैं. इसके लिए भी डीएपी और यूरिया खाद की जरूरत है. किसान बड़ी तेजी से गेहूं की बोआई करना शुरू कर दिए हैं, लेकिन ऐन मौके पर कृषि विभाग द्वारा ना तो बीज उपलब्ध कराया गया है, ना ही बिस्कोमन गोदाम में कोई खाद ही उपलब्ध है.दलाल किसानों को कर रहे परेशान
एक तरफ सरकारी बिस्कोमान गोदाम में डीएपी और यूरिया दोनों से खाद नहीं मिलने की बात कही जा रही है. वहीं दूसरी तरफ बिस्कोमान गोदाम की डीएपी और मिक्सर खाद बाजार की कई दुकानों पर खुलेआम महंगे दामों पर बिक रही है. दुकानदारों का कहना है कि अधिक रुपये देकर इन खाद की खरीद की गयी है, इसलिए महंगे दामों पर बेचना हमारी मजबूरी है. वहीं किसान महंगे दामों पर दुकानदारों से खाद- बीज खरीदने को मजबूर हैं. ऐसे में क्या जरूरी हो गया है कि जिला प्रशासन और कृषि विभाग सख्त कदम उठाए.खेती के समय ही क्यों होती है किल्लत
यह भी सबसे बड़ी और सोचने वाली बात है कि जब किसानों को खेती का समय आता है तब तब यहीं हाल होता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि कहीं भी कोई खाद की कमी नहीं है. जिन दुकानदारों के पास जिसको बिस्कोमान गोदाम की खाद जांच के दौरान मिलेगी उसे पर उचित कार्रवाई जरूर किया जाएगा. वहीं महंगे दाम पर खाद बीज बेचने वाले दुकानदारों को भी चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

