एकला चलो रे की नीति का कर रहे अनुसरण
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… और दो घूंट के लिए दोस्ती के रिश्तों में पड़ रही दरार
एकला चलो रे की नीति का कर रहे अनुसरण दिघवारा : दोस्त-दोस्त न रहा, प्यार-प्यार न रहा फिल्म संगम का यह गाना इन दिनों उनलोगों पर सटीक बैठ रहा है, जो शराब पीने के आदी हैं. शराबबंदी के बाद से प्रखंड के दिघवारा, आमी, हराजी, झौवां, शीतलपुर, मलखाचक, निजामचक, त्रिलोकचक, कुरैयां, कनकपुर, फरहदा आदि क्षेत्रों […]
दिघवारा : दोस्त-दोस्त न रहा, प्यार-प्यार न रहा फिल्म संगम का यह गाना इन दिनों उनलोगों पर सटीक बैठ रहा है, जो शराब पीने के आदी हैं. शराबबंदी के बाद से प्रखंड के दिघवारा, आमी, हराजी, झौवां, शीतलपुर, मलखाचक, निजामचक, त्रिलोकचक, कुरैयां, कनकपुर, फरहदा आदि क्षेत्रों में दो घूंट के लिए हर दिन दोस्ती के मजबूत रिश्तों में दरार पड़ रही है.
कल तक एक साथ बैठ कर जाम छलकाते हुए हम साथ-साथ हैं की बात करने वाले दोस्तों के झुंड के कई दोस्त अब पीने के समय एकला चलो रे की नीति का अनुसरण कर रहे हैं. जिंदगी भर साथ निभाने का वायदा करने वाले दोस्त भी दो घूंट मारने के वक्त अकेले रहना पसंद करते हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि शराब की बिक्री ग्रामीण इलाकों में बंद होने के बाद से शराब की किल्लत हो गयी है, लिहाजा शराब की हर बूंद की कीमत बढ़ गयी हैं, जिस कारण अब हर कोई पीना चाहता है, मगर पिलाना नहीं चाह रहा है.
दरक रही है दोस्ती : अनुपलब्धता के कारण इन दिनों शराब की वैल्यू बढ़ गयी है और हर बूंद कीमती हो गयी है, जिस कारण दो घूंट ने दोस्ती में दूरियां बढ़ा दी हैं. कल तक जो लोग अपने दोस्तों के लिए शराब का इंतजाम करते थे, आज उनका भी दिल छोटा हो गया है.
दोस्तों में हो रही है अनबन : जब किसी दोस्त को यह पता लग रहा है कि उसके दोस्त ने खुद शराब का आनंद अकेले ले लिया और उसे छोड़ दिया,बस क्या है आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जा रहा है. कई जगहों पर दोस्तों को इसी विषय पर उलझते देखा गया है.
भंडारित शराब का अकेले करना चाहते हैं सेवन
शराब के आदी लोगों को जैसे ही यह खबर मिली थी कि प्रखंड अधीन क्षेत्रों में एक अप्रैल से शराब की बिक्री पर रोक लग जायेगी, तो उनलोगों ने अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार शराब का भंडारण कर लिया ताकि खरीदी गयी शराब से हर शाम टेंशन को दूर किया जा सके.अब स्थिति यह है जिन पीने वाले लोगों ने शराब का भंडारण किया है, वे अपने इस राज को राज ही रखे हैं और दोस्तों का साथ छोड़ कर खुद हर शाम अकेले सेवन दवा की मात्रा के रूप में कर रहे हैं.
मात्रा में भी हो गयी है कमी
कल तक शराब आसानी से मिलती थी, जिस कारण पीने वाले राशि लगा कर घंटों डूबे नजर आते थे. मगर अब एक अप्रैल से शराब की किल्लत हो गयी है. बहुत जगह मिलती नहीं और जहां कहीं मिलती भी है तो ब्लैक दर पर बोतल का दाम निर्धारित दाम से दुगुना लगता है, इससे भी पीने वालों की संख्या में कमी आयी है और जो पी रहे हैं उन लोगों ने दाम को ध्यान में रख कर पीने की मात्रा भी कम कर दी है. पीने वाले लोग प्रसिद्ध गजल गायक पंकज उधास का गाना गुनगुनायेंगे कि हुई महंगी बहुत ही शराब थोड़ी-थोड़ी पिया करो.
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