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कार्रवाई. सभी विभागों के कर्मियों की उपस्थिति पंजी की डीएम ने की जांच

अनुपस्थित कर्मियों पर होगी कार्रवाई छपरा (सदर) : समहारणालय के विभिन्न कार्यालयों में कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर लगाम लगाने के जिला प्रशासन के प्रयास के बावजूद कर्मी अपनी आदतों से बात नहीं आ रहे है जो प्रशासनिक कार्यो में कर्मियों की कार्यशैली को दर्शाता है. शनिवार को दिन के 11.10 बजे पूर्वाहन में जब डीएम […]

अनुपस्थित कर्मियों पर होगी कार्रवाई

छपरा (सदर) : समहारणालय के विभिन्न कार्यालयों में कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर लगाम लगाने के जिला प्रशासन के प्रयास के बावजूद कर्मी अपनी आदतों से बात नहीं आ रहे है जो प्रशासनिक कार्यो में कर्मियों की कार्यशैली को दर्शाता है. शनिवार को दिन के 11.10 बजे पूर्वाहन में जब डीएम दीपक आनंद ने अपने कार्यालय में सभी विभागों के कर्मियों की उपस्थिति पंजी मंगाकर जांच की तो विभिन्न विभागों के 9 कर्मी निर्धारित समय के एक से सवा घंटे बाद भी अनुपस्थित पाये गये.
जिन कार्यालयों के कर्मी अनुपस्थित पाये गये उनमें निबंधन कार्यालय के एक, परिवहन के दो, खनन के दो, भविष्य निधि के एक, डीआरडीए के दो तथा स्थापना के एक कर्मी शामिल है. डीएम श्री आनंद ने अनुपस्थित कर्मियों का तत्काल प्रभाव से एक दिन का वेतन रोकते हुए जवाब तलब किया है. मालूम हो कि समय-समय पर जिला प्रशासन की वरीय पदाधिकारियों के द्वारा औचक निरीक्षण के बाद विभिन्न कार्यालयों के कई कर्मी अनुपस्थित पाये जाते है, प्रशासन द्वारा उनका संबंधित तिथि की हाजिरी काटने, एक दिन का वेतन रोकने व
जवाब तलब की कार्रवाई प्रशासन करता है. बावजूद कर्मचारियों की कार्यशैली में खास अंतर नहीं पड़ता. जिसे लेकर भी चर्चाएं आम लोगों में रहती है.
डीएम व अन्य अधिकारियों के औचक निरीक्षण में कर्मियों की अनुपस्थिति कार्यशैली की खोल रही पोल
जिला मुख्यालय स्थित दर्जन भर कार्यालयों में नहीं होता प्रमंडल व जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों का औचक निरीक्षण
तकनीकी व कई विभागों के दर्जनों पदाधिकारी मुख्यालय से बाहर रह कर निबटाते हैं विभागीय कार्य
आयुक्त या डीएम की महत्वपूर्ण बैठक में ही पहुंचने की समझते हैं जरूरत
कई कार्यालयों के पदाधिकारी व कर्मी रहते हैं गायब
समाहरणालय परिसर में औचक निरीक्षण के दौरान समय-समय पर अनुपस्थित पाये जाने, परंतु ऐसे कार्यालय जहां जिला प्रशासन या प्रमंडलीय प्रशासन की वरीय पदाधिकारी साल में एक बार भी औचक निरीक्षण कर्मियों की उपस्थिति के संबंध में नहीं करते वहां की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. इन कार्यालयों में पशुपालन विभाग,
ग्रामीण कार्य विभाग, गंडक नहर प्रमंडल, जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, मिट्टी जांच विभाग, पौधा संरक्षण विभाग, माप तौल विभाग, शिक्षा विभाग, भवन निर्माण विभाग, श्रम विभाग, पीएचइडी, गाडा, मतस्य विभाग, एनएच विभाग, विद्युत विभाग आदि दर्जनों कार्यालय जो जिला मुख्यालय में अवस्थित है इनके दर्जन भर ऐसे पदाधिकारी व कर्मी है जो महीने में सिर्फ वेतन लेने व पूरे महीने की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आते है.
तकनीकी विभागों एवं अन्य विभागों के कुछ पदाधिकारी जिला मुख्यालय से बाहर ही रहकर अपने चहेते लिपिकों के माध्यम से कार्यों का निष्पादन करते है. जब प्रमंडलीय आयुक्त या डीएम कोई महत्वपूर्ण विभागीय बैठक रखते है उस दिन उनकी उपस्थिति हो जाती है. जब पदाधिकारी ही कार्यालय से गायब रहते है तो ऐसे कार्यालयों की कर्मियों की नियमित उपस्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
जबभी उनके विभाग से संबंधित जानकारी की कोशिश दूरभाष के माध्यम से या उनके कार्यालय में पहुंचकर की जाती है तो वे पटना में बैठक में रहने या क्षेत्र में भ्रमण की बात कहकर अपने को विभागीय कार्य में उपस्थित रहने की बात बताने से बाज नहीं आते. कमोवेश कई प्रखंडों में भी पदाधिकारियों व कर्मियों की उपस्थिति के संबंध में समय-समय पर वरीय पदाधिकारी की जांच के बाद ऐसी ही स्थिति दिखती है. जो निश्चित तौर पर सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति की लचर कार्यशैली से सरकारी कार्यो पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर को दर्शाता है.

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