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कई बार उद्घाटन की जगी आस, मगर हर बार निराशा लगी हाथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर सारणवासियों में काफी उत्सुकता थी. उम्मीद बंधी थी कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार बिहार आ रहे श्री मोदी रेल पहिया कारखाना, बेला का उद्घाटन कर सारण वासियों को सौगात देंगे. मगर लोगों को उस समय निराशा हाथ लगी, जब पता चला कि 25 जुलाई के […]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर सारणवासियों में काफी उत्सुकता थी. उम्मीद बंधी थी कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार बिहार आ रहे श्री मोदी रेल पहिया कारखाना, बेला का उद्घाटन कर सारण वासियों को सौगात देंगे.
मगर लोगों को उस समय निराशा हाथ लगी, जब पता चला कि 25 जुलाई के पीएम के प्रस्तावित कार्यक्रम में पहिया कारखाना के उद्घाटन का कार्यक्रम नहीं है. सवाल उठता है कि उत्पादन शुरू हो चुके रेल पहिया कारखाने के उद्घाटन का ग्रहण कब हटेगा.
दरियापुर/दिघवारा : सारण के दरियापुर प्रखंड के बेला गांव में निर्मित रेल पहिया कारखाने को अब भी उद्घाटन का इंतजार है. लगभग 1450 करोड़ की लागत से बने देश के दूसरे रेल पहिया कारखाने में पहियों का उत्पादन जारी है, मगर अब तक इस कारखाने का विधिवत उद्घाटन नहीं हो सका है.
उद्घाटन का कई बार बिगुल बजा, मगर हर बार कार्यक्रम टलता रहा. स्थानीय लोगों की आंखें उद्घाटन समारोह को देखने के लिए बेताब है. चार वर्ष पूर्व से ही कारखाना बन कर तैयार है. मगर उद्घाटन के शुभ मुहूर्त का इंतजार है.
लक्ष्य के अनुसार नहीं हो पा रहा है उत्पादन : कारखाना बनने के बाद
प्रति वर्ष कारखाना से एक लाख चक्कों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था. मगर, उत्पादन लक्ष्य से काफी दूर है. प्रत्येक दिन कारखाने में औसतन
75 से 100 पहिये ही तैयार हो पाते हैं, क्योंकि दो शिफ्टों में चलनेवाले इस कारखाने में तीन से चार हीट ही संभव हो पाता है. एक हीट में 25 चक्के बनाये जाते हैं, जिन्हें फिर मानक पर जांचा जाता है.
भेजी जा चुकी है पहली खेप : कारखाने से उत्पादित चक्कों की पहली खेप में लगभग तीन हजार चक्कों को उत्तर रेलवे, पूर्व रेलवे, रैना पारू, विजयवाड़ा व जमालपुर वर्कशॉप को भेजा गया है. पहिये की कीमत 60 हजार रुपये होती है.
उद्घाटन के बाद विकास पकड़ेगा रफ्तार : कारखाने के उद्घाटन होने के बाद पहियों के उत्पादन में इजाफा होगा एवं विकास की रफ्तार तेज होगी. बिहार से उत्पादित रेल पहियों पर रेलगाड़ियां दौड़ती नजर आयेंगी. वहीं, कारखाना के आस-पास के लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे, जिससे उनलोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकेगी.
पर्याप्त है सुरक्षा इंतजाम : कारखाने में अब सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम है. पूर्व में निजी गार्डो व कुछ आरपीएफ जवानों के कंधों पर सुरक्षा की जिम्मेवारी थी. वहीं, अब सुरक्षा की कमान आरपीएफ के दो इंस्पेक्टर व 42 जवान संभाल रहे हैं.
रूडी कर चुके हैं पत्रचार : क्षेत्र के सांसद व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप बीते 18 दिसंबर को रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कारखाने के उद्घाटन कराने का आग्रह कर चुके हैं.
लालू प्रसाद ने रखी थी आधारशिला
यूपीए के शासनकाल में तत्कालीन रेलमंत्री व स्थानीय सांसद लालू प्रसाद ने 29 जुलाई, 2008 में दरियापुर रेल पहिया कारखानेकी आधारशिला रखी थी. आठ अगस्त, 2008 से एल एंड टी कंपनी ने कारखाने का निर्माण कार्य शुरू किया. वर्ष 2010 में निर्माण कार्य पूरा करना था. हालांकि, कारखाना दिसंबर, 2011 में बन कर तैयार हुआ. खात बात यह रही कि रेलवे का इतना बड़ा कारखाना बिना किसी विदेशी सहयोग के पूरा किया गया है.
23 मार्च, 2012 को शुरू हुआ ट्रायल
कारखाना बनने के बाद 23 मार्च, 2012 को चक्का बनाने का काम शुरू हुआ, मगर शुरुआती दौर में बनाये गये चक्के मानक पर खरे उतर नहीं पाये. इसके बाद तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग के बाद कारखाने में उत्पादित पहिये अब मानक पर खरे उतर रहे हैं. सूत्रों की मानें, तो लगभग 30 हजार चक्के बन कर तैयार हैं.
देश का दूसरा है रेल पहिया कारखाना
बेला अवस्थित रेल पहिया कारखाना देश का दूसरा पहिया कारखाना है. कर्नाटक के बेंगलुरु में पहले से ही पहिया कारखाना पहियों का उत्पादन कर रहा है. बेला के पहिया कारखाने में जब पहियों का उत्पादन रफ्तार पकड़ेगा, तब न केवल बेंगलुरु के पहिया कारखाने पर उत्पादन का दबाव कम होगा, बल्कि उत्तर बिहार में औद्योगिकीकरण की रफ्तार भी तेज होगी.
तीन बार हो चुकी हैं कारखाने
के उद्घाटन की तैयारियां
2011 के बाद 2013 व 2014 में तीन बार कारखाने के उद्घाटन की तैयारियां हुईं, मगर अंतिम कार्यक्रम तय नहीं हो सका. अप्रैल, 2013 में कारखाने का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करनेवाले थे.
उद्घाटन के लिए सोनिया गांधी के आने की चर्चा हुई, पर उद्घाटन नहीं हुआ. पुन: 30 जनवरी, 2014 को जब सोनिया गांधी बिहार दौरे पर आयीं, तब भी उद्घाटन की आस पूरी नहीं हो सकी. 26 मई, 2014 को पीएम बनने के बाद 25 जुलाई, 15 को मोदी पहली बार बिहार आयेंगे, मगर कारखाने के उद्घाटन का कार्यक्रम नहीं है.
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