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90 % ने नहीं लिया लाइसेंस
चिंताजनक : प्रमंडल में महज 1633 खाद्य सामग्री दुकानदारों ने कराया पंजीयन पदाधिकारियों व कर्मियों की कमी से जूझ रहे भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम विभाग की उदासीनता का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है. वे मिलावटी खाद्य सामग्री की खरीदारी कर रोगग्रस्त हो रहे हैं. सारण, सीवान, गोपालगंज में महज 1633 खाद्य […]
चिंताजनक : प्रमंडल में महज 1633 खाद्य सामग्री दुकानदारों ने कराया पंजीयन
पदाधिकारियों व कर्मियों की कमी से जूझ रहे भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम विभाग की उदासीनता का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है. वे मिलावटी खाद्य सामग्री की खरीदारी कर रोगग्रस्त हो रहे हैं. सारण, सीवान, गोपालगंज में महज 1633 खाद्य सामग्री दुकानदारों ने लाइसेंस लिया है, जो महज 10 फीसदी है. वहीं, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल की मांग पर सरकार ने पांचवीं बार लाइसेंस लेने की तिथि विस्तारित करते हुए चार अगस्त तय की है.
छपरा (सदर) : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत खाद्य सामग्रियों का लाइसेंस एवं पंजीयन करने वाले विभाग के पदाधिकारियों की कमी, उदासीनता, व्यवसायियों की मनमानी के कारण 100 दिन चले ढाई कोस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है.
200 में लागू इस अधिनियम के तहत खाद्य सामग्रियों के विक्रेताओं के लिए लाइसेंस लेने की तिथि सरकार ने पांचवीं बार बढ़ा दी है. परंतु, अब भी 90 फीसदी खाद सामग्री के व्यवसायियों ने लाइसेंस नहीं कराया. इससे एक ओर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है, तो दूसरी ओर मिलावटी, नकली खाद्य सामग्रियों के सेवन से उपभोक्ता रोगग्रस्त हो रहे हैं.
चार अगस्त तक लाइसेंस व पंजीयन की तिथि बढ़ी : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत पूर्व में लाइसेंस लेने की अंतिम तिथि चार फरवरी, 2015 निर्धारित थी परंतु, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल की मांग पर सरकार ने पांचवीं बार तिथि विस्तारित करते हुए लाइसेंस लेने की अंतिम तिथि चार अगस्त निर्धारित है.
महज 10 फीसदी व्यवसायियों ने ही लिया लाइसेंस : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत प्रति वर्ष 12 लाख रुपये से ज्यादा का खाद्य व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों की लाइसेंस फी प्रति वर्ष दो हजार रुपये, जबकि 12 लाख रुपये से कम का प्रति वर्ष का व्यवसाय करनेवाले छोटे-मोटे खाद्य व्यवसायियों को 100 रुपये प्रति माह पंजीयन चार्ज देना है. नवीनीकरण की फी भी लाइसेंस एवं पंजीयन के लिए प्रति वर्ष समान दर से ही रहेगी.
वहीं, प्रमंडलीयअभिहीत पदाधिकारी के अनुसार, सारण जिले में 483 व्यवसायियों ने खाद्य सामग्री का लाइसेंस लिया है, तो 11 सौ दुकानदारों ने पंजीयन कराया है. वहीं, 50 व्यवसायियों ने आवेदन भी जमा किया है.
पदाधिकारियों की कमी सबसे बड़ी समस्या : सारण प्रमंडल की खाद्य सुरक्षा के लिए लाइसेंस देनेवाले पदाधिकारी मोहन झा के अनुसार, पदाधिकारियों की कमी सबसे बड़ी समस्या बनी है. सारण में उनकी पदस्थापना के अलावा सरकार द्वारा मुजफ्फरपुर तथा भागलपुर प्रमंडलों का भी प्रभार दिया गया है. ऐसी स्थिति में कार्य की प्रगति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
यही नहीं, सभी जिलों में खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी तथा सभी प्रखंडों में प्रखंड खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी होना चाहिए, जिससे खाद्य सामग्री के विक्रेताओं को लाइसेंस देने, उनका निरीक्षण करने, गुणवत्ता के संबंध में सैंपल लेने का कार्य हो सके. परंतु, सारण, सीवान, गोपालगंज में महज एक खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी जिला स्तर पर तैनात हैं. ऐसी स्थिति में बेहतर कार्य नहीं हो पाता. प्रखंड स्तर पर अब तक कहीं भी पदाधिकारी नहीं तैनात हुए हैं.
जांच के नाम पर होती है उगाही : शहर के खाद्य सामग्री के कई विक्रेताओं से पूछताछ के बाद यह बात सामने आयी है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत खाद्य सामग्री की गुणवत्ता के जांच के नाम पर व्यवसायियों से नाजायज वसूली की जाती है. वहीं, व्यवसायी भी इस कड़े कानून का दुरुपयोग कुछ पदाधिकारियों द्वारा किये जाने के कारण भयभीत होकर आर्थिक दोहन के शिकार हो रहे हैं.
121 में 16 सैंपल मिलावटी या असुरक्षित पाये गये : इस अधिनियम के लागू होने के बाद अब तक दोनों पदाधिकारियों ने महज 121 सैंपल विभिन्न खाद्य सामग्रियों का लिया है.
प्रमंडलीय अभिहीत पदाधिकारी श्री झा की मानें, तो इन सभी के सैंपल एनएबीएल लेबोरेटरी में जांच कराने के बाद 16 सैंपल मिलावटी, असुरक्षित व घटिया गुणवत्ता के पाये गये. इस मामले में 16 मुकदमे किये गये हैं, जिनमें कार्रवाई संबंधित कोर्ट में चल रही है.
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