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पानी की तरह बह गये करोड़ों रुपये
नहीं मयस्सर हुआ शहरवासियों को शुद्ध पीने का पानी विद्युत आपूर्ति ठप होने से जलापूर्ति भी हो जाती है ठप छपरा (सारण) : पानी की तरह करोड़ों रुपये बहा दिये गये, फिर भी शहर के नागरिक शुद्ध पेयजल के लिए परेशान हो रहे हैं. करोड़ों रुपये की लागत से बनाये करीब डेढ़ दर्जन से अधिक […]
नहीं मयस्सर हुआ शहरवासियों को शुद्ध पीने का पानी
विद्युत आपूर्ति ठप होने से जलापूर्ति भी हो जाती है ठप
छपरा (सारण) : पानी की तरह करोड़ों रुपये बहा दिये गये, फिर भी शहर के नागरिक शुद्ध पेयजल के लिए परेशान हो रहे हैं. करोड़ों रुपये की लागत से बनाये करीब डेढ़ दर्जन से अधिक जलमीनारें महज दिखावा बन कर रह गयी हैं.
जलमीनारों से पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही है. ट्यूबवेल से सीधे पेयजल की आपूर्ति की जाती है. विद्युत पर निर्भर ट्यूबवेल तभी चलता है, जब विद्युत की आपूर्ति होती है. विद्युत आपूर्ति ठप होते ही पेयजल की आपूर्ति भी ठप हो जाती है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से छपरा शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी करीब एक दर्जन नयी जलमीनारों का निर्माण कराया गया है.
पहले से भी शहर में एक दर्जन जलमीनारें हैं, लेकिन जलमीनार का प्रयोग नहीं किया जा रहा है.
अधूरा पड़ा है कार्य
रिविलगंज प्रखंड के नई गांव में ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना अंतर्गत कराये जा रहे जलमीनार का निर्माण तथा पेयजल आपूर्ति पाइप लाइन बिछाने का कार्य ठप है. कई माह से कार्य अधूरा पड़ा है. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता धर्मेद्र सिंह चौहान ने बताया कि इसको लेकर कार्यपालक अभियंता को कई बार लिखित आवेदन दिया गया, फिर भी कार्य ठप पड़ा हुआ है.
ग्रामीणों की शिकायत है कि करीब 20 प्रतिशत ही कार्य हुआ है. 80 प्रतिशत से ज्यादा कार्य ठप पड़ा हुआ है. यह पंचायत करीब दो किमी में फैली हुई है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जलमीनारों में पेयजल का भंडारण नहीं होने की जांच की जायेगी. संबंधित क्षेत्रों के अधिकारियों द्वारा दिये गये प्रतिवेदन के अनुसार सभी जगह टंकी में पानी भरा जाता है, जिसके बाद ही आपूर्ति की जाती है. वाल्मीकि मंडल कार्यपालक अभियंता, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, छपरा
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