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साइकिल दीदी की उपस्थिति में होगी वुमनिया की स्क्रीनिंग, पद्मश्री सुधा वर्गीज 14 को आयेंगी छपरा

छपरा : साइकिल दीदी से मशहूर आइकॉन ऑफ बिहार पद्मश्री सुधा वर्गीज 14 जुलाई को छपरा आयेंगी. उनकी मौजूदगी में महिला सशक्तीकरण को समर्पित चर्चित डॉक्यूमेंटरी ‘वुमनिया’ की स्क्रीनिंग पहली बार सारण की धरती पर की जायेगी. फ्रेमजोमेनिया प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित इस डाक्यूमेंट्री के निर्देशक छपरा के रहने वाले आकाश अरुण हैं. फ्रेमजोमेनिया के […]

छपरा : साइकिल दीदी से मशहूर आइकॉन ऑफ बिहार पद्मश्री सुधा वर्गीज 14 जुलाई को छपरा आयेंगी. उनकी मौजूदगी में महिला सशक्तीकरण को समर्पित चर्चित डॉक्यूमेंटरी ‘वुमनिया’ की स्क्रीनिंग पहली बार सारण की धरती पर की जायेगी. फ्रेमजोमेनिया प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित इस डाक्यूमेंट्री के निर्देशक छपरा के रहने वाले आकाश अरुण हैं.
फ्रेमजोमेनिया के क्रिएटिव हेड अभिषेक अरुण ने बताया कि रेडियो मयूर की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर यह कार्यक्रम शहर के एकता भवन में आयोजित किया गया है. उन्होंने बताया कि शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता, फिल्म आदि क्षेत्रों से जुड़े हुए कई नामचीन हस्तियों का आगमन स्क्रीनिंग के अवसर पर होगा. एक भव्य समारोह में वुमनिया की प्रस्तुति की जायेगी.
सुधा वर्गीज की प्रेरणा से ही सशक्त हुईं महिलाएं : वुमनिया बैंड की सदस्यों को सुधा वर्गीज ने काफी प्रेरित किया.अपनी संस्था के माध्यम से इनकी ट्रेनिंग करायी और बैंड बजाने के लिए इन्हें कौन बनेगा करोड़पति के मंच तक ले गयीं जहां से बैंड को काफी प्रसिद्धि मिली. यह बैंड पार्टी मुख्यमंत्री के सामने भी प्रस्तुति दे चुकी है. बीबीसी ने भी इन महिलाओं से बात की है. इन महिलाओं के ट्रेनर ने इन्हें अपनी शादी में बैंड बजाने बुलाया था, जो इस बैंड की पहली प्रोफेशनल प्रस्तुति थी. आज बैंड से जुड़ीं ये महिलाएं आत्मनिर्भर हैं.
महिला सशक्तीकरण से जुड़ी डॉक्यूमेंटरी वुमनिया का होगा प्रदर्शन
कौन हैं सुधा वर्गीज
दलित और मुसहर समुदायों के जीवन के स्तर को सुधारने और उनको उनके अधिकारों के बारे में अवगत कराने के लिए सुधा वर्गीज देश भर में मशहूर हैं. इन्हें प्यार से लोग साइकिल दीदी बुलाते हैं क्योंकि यह साइकिल से सफर करती हैं. इन्हें भारत सरकार से पद्मश्री अवार्ड मिला है. बिहार सरकार द्वारा इन्हें आइकन ऑफ बिहार का सम्मान दिया गया है.
– देश की पहली महिला बैंड की कहानी है वुमनिया
वुमनिया की कहानी पटना के पास मौजूद डिबरा गांव से ताल्लुक रखने वाली कमजोर वर्ग की महिलाओं की है, जो कि शादी-ब्याह में बैंड-बाजा बजाती हैं. जैसे पुरुष बैंड बजाते हैं, ठीक वैसे ही. यह देश की पहली ऐसी महिला बैंड हैं. कहानी महिला सशक्तीकरण की एक अनूठी मिसाल पेश करती है.
कभी दूसरों के खेतों में काम करने वाली महिलाएं आज खुद के खेत में फसल काट रही हैं. देश के कई नामचीन व्यक्तियों के यहां शुभ अवसर पर बैंड बजाने जा चुकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी इनकी इनकी प्रस्तुति देख चुके हैं. अब ये महिलाएं फ्लाइट से बैंड बजाने जाती हैं. वुमनिया को देश-विदेश के कई बड़े फिल्म समारोहों में प्रसिद्धि मिल चुकी है. शिमला, दिल्ली, केरल, हरियाणा, पुणे, मुंबई,दोहा, पटना आदि में इसका प्रदर्शन हुआ है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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