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गया के तिलकुट व बासमती चिउड़े की खुशबू से महक रहा है बाजार

दिघवारा : मकर संक्रांति आगमन की दहलीज पर खड़ा है, लिहाजा प्रखंड अधीन बाजारों में किराना दुकानों के अलावा अस्थायी दुकानों की रौनक बढ़ गयी है. संक्रांति में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं की बिक्री के लिए दिघवारा, शीतलपुर व आमी के बाजारों में दर्जनों अस्थायी दुकानें सज गयी हैं और इन दुकानों पर दिन […]

दिघवारा : मकर संक्रांति आगमन की दहलीज पर खड़ा है, लिहाजा प्रखंड अधीन बाजारों में किराना दुकानों के अलावा अस्थायी दुकानों की रौनक बढ़ गयी है. संक्रांति में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं की बिक्री के लिए दिघवारा, शीतलपुर व आमी के बाजारों में दर्जनों अस्थायी दुकानें सज गयी हैं और इन दुकानों पर दिन भर ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है. दिन भर बाजार ग्राहकों से गुलजार दिख रहा है. ठंड का असर इन दुकानों पर नहीं दिख रहा है और यही वजह है कि ग्राहकों की संख्या में कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है. खरमास में भी सैकड़ों दुकानदारों की आमदनी में इजाफा हुआ है जिससे उनलोगों के चेहरों की रौनक बढ़ गयी है.

गया के तिलकुट की खुशबू से महक रहा बाजार
केवल दिघवारा बाजार में तिलकुट की लगभग दो दर्जन से अधिक दुकानें सजी हैं, जहां सुबह से शाम तक तिलकुट की बिक्री हो रही है. शीतलपुर बाजार का भी ऐसा ही हाल है. इसके अलावा किराना दुकानों में भी कई वैराइटी की तिलकुट उपलब्ध है. ऐसे तो दिघवारा व शीतलपुर बाजारों में गया की सोंधी खुशबू वाली तिलकुट उपलब्ध है, मगर सामान्य क्वालिटी के तिलकुट भी भारी मात्रा में इन बाजारों में उतारा गया है जिसका रेट 120 रुपये प्रति किलो से 150 रुपये किलो तक है. इन बाजारों के हर दुकानदार अपने दुकान की तिलकुट को गया का निर्मित तिलकुट बता रहे हैं.
जिससे ग्राहकों को ठगे जाने की आशंका बढ़ गयी है. गया का असली तिलकूट का रेट 200 से 250 रूपये किलो है जो काफी खस्ता है.
भागलपुर के कतरनी चिउड़े की खूब है मांग
ऐसे तो इन बाजारों में सामान्य चिउड़े की कई वैराइटी उपलब्ध हैं. सामान्य चिउड़ा का रेट 24 से 30 रुपये प्रति किलो है. मगर टेस्ट के माहिर लोग भागलपुरी का कतरनी चिउड़ा व खुशबूदार बासमती चिउड़ा खूब खरीद रहे हैं. कतरनी चिउड़ा की भी कई वैराइटी बाजारों में उपलब्ध है जिसका रेट 60 से 75 रुपये प्रति किलो का है. फरुही यानि मूढ़ी भी 24 से 30 रुपये के रेट से बिक रहा है. मकर संक्रांति के कारण नगर व ग्रामीण इलाकों में दूध का संकट उत्पन्न हो गया है. ग्रामीण इलाकों के खटालों में वीरानगी है .
और इन खटालों में ग्राहकों का दूध का ऑर्डर लेना बंद हो गया है.
10 क्विंटल से अधिक रेडीमेड दही का है ऑर्डर
खटालों व ग्वालों के पास दूध नहीं मिलने के परेशान लोगों ने इस साल एक बार फिर सुधा व राज जैसी दूध उत्पादन कंपनियों के निर्मित दही पर ही भरोसा किया है. दिघवारा व शीतलपुर में ऐसी दूध कंपनियों के सेंटर पर कई दिन पूर्व से ही दही का ऑर्डर दिया जा रहा है. लोग अपनी खपत के अनुसार एक किलो, दो किलो व पांच किलो के दही का जार का आर्डर दे रहे हैं. इन दुकानों पर अब तक 10 क्विंटल से अधिक दही का ऑर्डर बुक हो चुका है जिसकी 14 जनवरी को डिलिवरी करनी है.
एक दो दिनों में दही के ऑर्डर में और इजाफा होने की संभावना है.

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