कुव्यवस्था. नववर्ष के जश्न के लिए नहीं है पर्याप्त इंतजाम, नदी घाट व पार्क की नहीं हुई सफाई
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पिकनिक स्पॉटों पर गंदगी, लोग परेशान
कुव्यवस्था. नववर्ष के जश्न के लिए नहीं है पर्याप्त इंतजाम, नदी घाट व पार्क की नहीं हुई सफाई कुर्सियां गंदगी के कारण उपयोग लायक नहीं हैं. छपरा (नगर) : नये साल का जश्न किसी खास पिकनिक स्पॉट पर हो तो मजा ही कुछ अलग हो जाता है. हालांकि इस बार शहरवासियों को पिकनिक स्पॉट के […]
कुर्सियां गंदगी के कारण उपयोग लायक नहीं हैं.
छपरा (नगर) : नये साल का जश्न किसी खास पिकनिक स्पॉट पर हो तो मजा ही कुछ अलग हो जाता है. हालांकि इस बार शहरवासियों को पिकनिक स्पॉट के चयन को लेकर काफी समस्या हो सकती है. शहरी क्षेत्र में बने प्रायः सभी पार्क बदहाल स्थिति में हैं. वहीं नदी घाट भी कचरा डंपिंग के कारण पिकनिक मनाने लायक नहीं बचे हैं. ऐसे में इस बार का न्यू इयर मंदिरों में पूजा-पाठ, घर के ड्राइंग रूम में पार्टी या रेस्टोरेंट की टेबल पर बीताने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. शहर में मुख्य रूप से दो बड़े पार्क मौजूद हैं. दोनों ही पार्कों में चारों तरफ गंदगी का अंबार है. पार्क के मैदान तो दूर वहां बनी सीढ़ियां भी बैठने लायक नहीं बची हैं.
बदतर हालात में है शिशु पार्क व राजेंद्र सरोवर उद्यान : शहर के मध्य भाग में स्थित शिशु पार्क का जीर्णोद्धार डेढ़ करोड़ की लागत से दो वर्ष पहले किया गया था. पार्क के बीच में बने सरोवर को भी विकसित किया गया था. सीढ़ियों पर स्टोन फिटिंग आदि का कार्य हुआ था. हालांकि पिछले एक साल से यह पार्क बदहाल स्थित में है. न कभी इस पार्क की सफाई होती है और न ही सरोवर की. पुराने जंग लगे झूले नहीं हटाये गये, जिससे हमेशा बच्चों को चोट लगती रहती है.
पार्क की सीढ़ियों व
वाॅकिंग पथ पर कभी झाड़ू तक नहीं लगता. मैदान में जगह-जगह
गड्ढे हो चुके हैं.
गंदगी इतनी है कि यहां पिकनिक मनाना तो दूर बैठना भी संभव नहीं है. वहीं थोड़ी दूर पर राजेंद्र सरोवर उद्यान है. शहरी विकास योजना के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों से चल रहा मेंटेनेंस का कार्य अबतक पूरा नहीं किया जा सका है. पार्क में लगे आधे से ज्यादा स्ट्रीट लैंप उचक्के उखाड़ कर ले जा चुके हैं. पार्क के सरोवर में गंदगी तैर रही है. लोगों के बैठने के लिए बनायी गयी सीमेंट की कुर्सियां गंदगी के कारण उपयोग लायक नहीं हैं.
नदी घाट भी है उपेक्षा का शिकार
एक जमाना था जब नववर्ष के आगमन पर छपरा शहर के दियारा क्षेत्र खासकर सरयू नदी के किनारे बने घाटों पर काफी उत्साह और उमंग का नजारा देखने को मिलता था.
एक दिन पहले से ही लोग नदी घाट पर पहुंच कर पसंदीदा जगह चुन कर वहां साज-सज्जा और साफ-सफाई कर लेते थे. नदी किनारे बच्चों की मस्ती, क्रिकेट का खेल और स्टोव या लकड़ी के चूल्हे पर बना भोजन नववर्ष के उत्साह को चरम पर पहुंचा देता था. समय बदला और शुरू हुआ नदी घाटों की उपेक्षा का दौर. बीते 10 वर्षों में नदी घाट पर पिकनिक मनाने वाले लोगों की संख्या में काफी कम गयी है. इस उपेक्षा का मूल कारण रहा नदी घाटों की सफाई को लेकर प्रशासन और आम जनता में जागरूकता का अभाव.
बीते कुछ सालों में नदी के किनारे कचरा फेंकने का सिलसिला जिस कदर बढ़ा है, उससे न सिर्फ लोगों में नदी घाटों पर जाने का उत्साह कम हुआ है, बल्कि नदी की पवित्रता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है. खुले में शौच की आदत ने भी नदी घाटों को काफी गंदा कर दिया है. शहरी क्षेत्र में इकट्ठा कचरे को भी खुलेआम नदी किनारे डंप किया जाता है.
चिल्ड्रेन पार्क
राजेंद्र सरोवर उद्यान
सरयू नदी घाट
राजेंद्र स्टेडियम
साह बनवारी लाल सरोवर
गोवर्धन दास सरोवर
क्या कहती हैं मेयर
एक जनवरी के पहले सभी पार्क व सार्वजनिक स्थलों की सफाई करायी जायेगी. निगम के सफाईकर्मियों को निर्देश दिया गया है.
प्रिया देवी, मेयर नगर निगम
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