Sanchar Saathi: डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘संचार साथी’ तेजी से आम लोगों का भरोसा जीत रहा है. यह टूल मोबाइल फोन के IMEI नंबर को ट्रैक कर खोए या चोरी हुए मोबाइल की लोकेशन पता करता है. पुलिस तो इसका इस्तेमाल कर ही रही है, लेकिन सामान्य उपभोक्ता भी अपने फोन का लोकेशन देखकर थाने की मदद से उसे रिकवर कर सकता है.
अक्तूबर 2025 तक केवल बिहार में ही 6,131 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं. वहीं जून से अक्तूबर 2025 के बीच 69,478 मोबाइल फोन ब्लॉक किए गए, जिनमें से 47,065 की लोकेशन ट्रेस कर ली गई. हालांकि रिकवरी अभी 13% पर है, जो बताती है कि कई जिलों में प्रयासों को तेज करने की जरूरत है.
बिहार में मोबाइल रिकवरी, आंकड़ों की भाषा में पूरी कहानी
संचार मंत्रालय के अनुसार जून से अक्तूबर 2025 के बीच बिहार सर्किल में 69 हजार से ज्यादा मोबाइल फोन ब्लॉक किए गए. इनमें से लगभग 47 हजार फोन की लोकेशन ट्रेस हो गई. लेकिन इन ट्रेस किए गए फोन में से बरामदगी केवल 6,131 मोबाइलों की ही हो सकी. यह आंकड़ा लगभग 13% की रिकवरी दर दर्शाता है.
बिहार में मोबाइल कनेक्शन से जुड़े विवादों में काफी तेजी से समाधान हो रहा है. संचार मंत्रालय को बिहार से इस दौरान 19.51 लाख शिकायतें मिलीं, जो ‘‘मेरे नाम का नहीं है’’ श्रेणी से संबंधित थीं. इनमें से 85% यानी 16.74 लाख शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है.
लगभग 2.76 लाख मामले अभी प्रक्रिया में हैं, वहीं 9 लाख से अधिक मोबाइल कनेक्शन ऐसे मिले जिन्हें गलत नाम पर रजिस्टर किया गया था और विभाग ने इन्हें काट दिया.
कैसे काम करता है ‘संचार साथी’? आम लोगों के लिए बड़ी सुविधा
यदि आपका फोन चोरी हो गया है या कहीं खो गया है, तो उपभोक्ता स्वयं ‘संचार साथी’ पोर्टल पर जाकर अपने मोबाइल नंबर और IMEI की जानकारी अपडेट कर सकता है. सिस्टम तुरंत डिवाइस को ब्लॉक कर देता है, ताकि कोई उसका दुरुपयोग न कर सके.
जैसे ही फोन किसी नेटवर्क पर सक्रिय होता है, ‘संचार साथी’ उसकी लोकेशन ट्रेस कर देता है. यह जानकारी उपभोक्ता को मिल जाती है, जिसे वह सीधे संबंधित थाने में देकर मोबाइल रिकवर कर सकता है. यही वजह है कि इस प्लेटफॉर्म को आम लोगों के लिए बड़ा डिजिटल हथियार माना जा रहा है.
दूरसंचार विभाग के अनुसार, “संचार साथी तेजी से लोगों के बीच भरोसा बना रहा है. इसका उपयोग आसान है और इससे मोबाइल रिकवरी की प्रक्रिया मजबूत बनती है.
कौन से जिले सबसे बेहतर और कौन सबसे कमजोर? पूरी तस्वीर सामने
बिहार के कई जिलों ने मोबाइल रिकवरी में शानदार प्रदर्शन किया है. बेगूसराय, मोतिहारी और नालंदा उन जिलों में शामिल हैं जहां ट्रेस्ड मोबाइलों की तुलना में रिकवरी बेहद अच्छी रही है. बेगूसराय में 1,176 मोबाइल ब्लॉक किए गए, जिनमें से 971 की लोकेशन ट्रेस हुई और 207 फोन सफलतापूर्वक रिकवर किए गए. मोतिहारी और नालंदा में भी रिकवरी दर क्रमशः 19.5% और 24.5% रही.
इसके उलट मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सिवान, मधुबनी और पटना जैसे जिलों में रिकवरी दर बहुत कम है. पटना में 10,747 मोबाइल ब्लॉक हुए और 7,018 ट्रेस हुए, लेकिन रिकवर केवल 622 मोबाइल ही हो पाए, यानी रिकवरी मात्र 6.1% रही.
मधुबनी में रिकवरी 3.8% रही, जबकि मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में भी यह 5% से कुछ ही ऊपर रही. ये आंकड़े बताते हैं कि प्रशासन को जिलों में ट्रेस्ड मोबाइल को रिकवर करने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास बढ़ाने होंगे.
रिकवरी कम क्यों और समाधान क्या?
एक बड़ी समस्या यह है कि मोबाइल की लोकेशन ट्रेस होने के बाद भी उसकी वास्तविक बरामदगी के लिए पुलिस की सक्रियता जरूरी होती है. कई मामलों में फोन दूसरे जिले या दूसरे राज्य में पहुंच जाता है, जिससे रिकवरी और मुश्किल हो जाती है.
दूसरी चुनौती IMEI बदलने वाले गिरोह हैं, जो चोरी मोबाइल बाजार में सक्रिय हैं. संचार मंत्रालय इनमें सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. डिजिटल ट्रैकिंग मजबूत होने के बावजूद फील्ड ऑपरेशन्स को तेज करने पर जोर दिए जाने की जरूरत है.
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