Samastipur : पूसा . डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ईख अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा देवेंद्र सिंह ने बताया कि गन्ने में कलिका (स्मट रोग) का संक्रमण के नुकसान से बचाव के लिए वैज्ञानिक ने किसानों के लिए सुझाव जारी किया गया है. वैज्ञानिक के अनुसार बेहतर प्रबंधन व रख-रखाव से किसान आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह रोग गन्ने के प्रमुख हानिकारक फफूंद जनित रोगों में से एक है. इस रोग का फैलाव लगातार उच्च तापमान (32 से 38 डिग्री से मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के अंतिम सप्ताह के बीच) होने की संभावना होती है. इस रोग का प्रकोप खूंटी फसल में गन्ने के समुचित प्रबंधन नहीं होने वाले खेतों में अधिक पाया जाता है. आक्रांत पौधों की पत्तियां पतली नुकीली छोटी एवं कड़ी खजूर के पत्तों की तरह नुकीली हो जाती है. ईख की फुनगी से चाबुकनुमा काला डंठल निकलता है जो एक सफेद पतली झिल्लीनुमा परत के अंदर काले बीजाणु लाखों की संख्या में छिपे होते हैं. आक्रांत पौधे पतले एवं बौने होने के साथ रस की मात्रा में कमी करता है.
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