Samastipur News:पूसा : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र पूसा के सभागार में आधुनिक कृषि एवं बागवानी पद्धतियां और बेहतर बाजार के मूल्य संवर्धन विषय पर जारी प्रशिक्षण प्रतिभागियों के बीच प्रमाण पत्र व इनपुट वितरण के साथ सम्पन्न हो गया. अध्यक्षता करते हुए आईएआरआई नई दिल्ली के वैज्ञानिक सह नोडल अधिकारी डॉ महेश चंद्र मीणा ने कहा कि बिहार राज्य के आदिवासी किसान व ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जुड़ने की जरूरत है. खेती में लागत के अनुरूप फसलों से आमदनी प्राप्त करना ही असली किसानी कहलाता है. बुआई से पहले खेतों एवं बागों का प्रबंधन करना जरूरी होता है. हमेशा उपयोग में आने वाले फसल उत्पादन के दौरान 17 तरह का पोषक तत्वों पर गहनता के साथ विचार करने की जरूरत है. मिट्टी सहित पौधा को जीवित रखने का सर्वप्रथम प्रयास करने से सुरक्षित एवं संरक्षित खेती को बढ़वा दिया जा सकता है. फसल से बेहतर उत्पादन लेने के लिए बच्चों के तरह मिट्टी को सींचने की जरूरत होती है. खासकर ग्रामीण आदिवासी महिलाओं से आग्रह करते हुए कहा कि अपने मन से डर को हटा दें. ताकि सीखने की प्रवृति एवं बोलने की क्षमता को विकसित बनाने की आवश्यकता है. खेती के दौरान आगत किस्मों के बीज चयन करने की जरूरत है. संस्थान के अध्यक्ष डॉ प्रियरंजन कुमार ने कहा कि सामान्य गांवों की अपेक्षा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है. इस व्यवस्था को सुधारने की दिशा में बेहतर पहल किया जा रहा है. स्वागत करते हुए वैज्ञानिक डॉ सतीश नायक ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को सैद्धांतिक सत्र के साथ प्रायोगिक वर्ग के अलावा क्षेत्र भ्रमण की भी समुचित व्यवस्था की गई थी. संचालन वैज्ञानिक डॉ मो. हसनैन ने किया. मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ तमोघना साहा, सहायक प्रशासनिक अधिकारी मनीष कुमार भारती मौजूद थे.
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