Samastipur News:सिंघिया : प्रखंड के बिष्णुपुर डीहा गांव में कैतकी कुमैर मां काली माता की प्रतिमा विसर्जन सोमवार को किया गया. प्रतिमा को कंधे पर लेकर गांव के मुख्य सड़क होते हुए गंगा डोभी तालाब में विसर्जन किया. माता की जयकारा से गांव के पुरुष-महिला युवा बच्चे सभी आह्लादित हो रहे थे. आचार्य पंडित गौरी झा ने बताया कि हिंदू पुराणों में जल को ब्रह्मा माना गया है. यह भी कहा गया है कि सृष्टि की शुरुआत से पहले और इसके अंत के बाद संपूर्ण सृष्टि में सिर्फ जल्द ही जल्द होगा. जल आरंभ, मध्य और अंत बताया गया है. यह तत्व है. इसलिए पूजा पाठ में भी पवित्रीकरण के लिए जल का प्रयोग किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जल में देव प्रतिमाओं को विसर्जित करने के पीछे यह कारण है कि देवी देवताओं की मूर्ति भले ही विलीन हो जाए. लेकिन उनके प्राण मूर्ति से निकलकर सीधे परम ब्रह्म में लीन हो जाते हैं. बता दें कि काली माता का प्राण प्रतिष्ठा कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को हुई थी. जिसमें स्थानीय गायक कलाकार मुरारी सिंह राजेश सिंह बचकुन के द्वारा जागरण किया गया.
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