Samastipur News:प्रकाश कुमार, समस्तीपुर: 133 समस्तीपुर विधान सभा में चुनावी सरगर्मी तेज है. प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टियां वोटर को रिझाने में लगी हुई है. लेकिन जनता के मन में क्या चल रहा है, ये कोई नहीं जानता है. राजद प्रत्याशी जहां केंद्र और राज्य की जदयू-बीजेपी सरकार की योजनाओं पर निशाना साध रही है, तो वहीं जदयू अपनी उपलब्धियों की बदौलत जनता से वोट मांग रही है. लेकिन मतदाता कुछ कहने को तैयार नहीं है. वोटर हर प्रत्याशी को गर्दन हिलाकर वोट देने का वादा कर रहा है लेकिन अंदरखाने उसके मन में क्या है, यह वह उजागर नहीं कर रहा. मतदाता की इस स्थिति को लेकर प्रत्याशियों में बेचैनी भी है. वैसे जब प्रत्याशी या उनके समर्थक आम वोटरों के पास वोट मांगने के लिए जाते हैं तो वह उन्हें वोट देने का वादा कर देता है. यह वादा वोटर एक प्रत्याशी से ही नहीं करता. लगभग सभी प्रत्याशी व उनके समर्थकों से वह इसी तरह का वादा कर रहा है. वह किसी को निराश नहीं कर रहा. शहर के ताजपुर रोड में साग-सब्जी बेचने वाली गौरी का बेटा इंटर की पढ़ाई करता है. पचास साल की गौरी घर-बाहर का सारा काम खुद संभालती हैं लेकिन जब वोट डालने की बात आती है तो वो सच्चाई से बिना लाग-लपेट के कहती हैं कि हम अपना बेटा से पुछब, हमरा बेटा जेकेरा में कही ओकरा में हम वोट देब. अब हम अपना मन से का बोलीं… ना हम पढ़ल बानीं ना लिख्खल बानीं. हमार बेटा जेकेरा के कही ओकरा के हम देब. बात कीलियर बा. हम झूठ ना बोलेलीं. सुबह की चाय से लेकर रात के खाने के बीच मतदाताओं के चौखटों तक पहुंच कर जिले की सियासी गणित जानने में जुटे हैं. इस दौरान लोगों के बीच बतकही के माध्यम से केंद्र सरकार की योजनाओं पर भी चर्चा की जा रही है. चर्चा के बीच लोगों के मन में उभरे दर्द और मन की स्थिति दोनों निकल कर आ रही है. इससे यह पता किया जा रहा है कि आखिर सरकार के प्रति गुस्सा क्या है और सरकार ने अच्छा क्या किया है. नामांकन दाखिल करने के बाद सभी दलों के प्रत्याशी जनता के दरबार में हाजिरी लगाने लगे हैं. हालांकि चुनाव को लेकर वोटर अभी मुखर होकर सामने नहीं आ रहे है. राजनीति से जुड़े लोग मान रहे हैं कि इस बार का चुनाव अन्य चुनाव की अपेक्षा काफी अलग होगा. जातीय और दलीय समीकरणों में घालमेल होने की पूरी संभावना बन रही है. पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार के चुनाव में मतदान के बीच काफी कम समय शेष रह गया है. शिक्षाविद कुमार अनुज कहते हैं कि जनता के मन मिजाज में आएं बदलाव से न सिर्फ विकास को गति मिलेगी. बल्कि बिहार सशक्त रूप से विकसित व समृद्ध राज्य के रूप में उभरकर सामने आयेगा.
तकनीकी संवाद से मूड भांप रही सर्वे एजेंसियां
विधान सभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले ही सर्वे एजेंसियां मतदाताओं का मूड जानने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई है. ग्राउंड जीरो पर जाकर सर्वे करने की पुरानी तकनीक को पीछे छोड़ अब नए तकनीकी माध्यमों से मतदाताओं से सीधे संवाद के जरिये सर्वे एजेसियां सर्वेक्षण कार्य कर रही हैं. वहीं, सर्वेक्षण एजेंसियां सोशल मीडिया सहित मोबाइल पर सीधे कॉल कर जनता का मूड भांप रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं के मोबाइल नंबरों पर सीधे कॉल आने से मतदाता भी सकते में हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों डिजिटल रूप से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगी है. सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक दलों ने वोटरों को अपने पक्ष में गोल बंद के लिए प्रयास प्रारंभ कर दिया है. इसके लिए राजनीतिक दलों ने अपने-अपने वार रूम भी बना लिये हैं. यहां पूरी एक टीम सक्रिय है. सोशल मीडिया पर अलग-अलग ग्रुप भी बनाये जा चुके हैं. स्थानीय प्रशासन सोशल मीडिया पर भी लगातार नजर रख रहा है. जिससे किसी भी तरह की आपत्तिजनक पोस्ट न की जाये.
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