Samastipur News:मोहिउद्दीननगर : शिक्षा स्वायत्त व मूल्य आधारित होनी चाहिए. शिक्षा व्यापार- व्यवसाय न होकर सेवा का माध्यम होनी चाहिए. शिक्षा में पारिवारिक भाव का विकास एवं शैक्षिक परिवार की संकल्पना, यह टुकड़ों-टुकड़ों में विचार ना करते हुए समग्रता व एकात्मकता का दृष्टिकोण होना चाहिए. शिक्षा चरित्र निर्माण व व्यक्तिव विकास की धुरी है. यह बातें रविवार को डुमैनी में बहाई समुदाय केंद्र में शिक्षा संगोष्ठी को संबोधित करते हुए शिक्षाविद् अजय आडवाणी ने कही. अध्यक्षता देव सुंदर देवी ने की. वक्ताओं ने कहा कि हमें अगर नई पीढ़ी के रचनात्मक अभिव्यक्ति का उन्नयन करना है तो शिक्षा की प्रक्रिया के नवीकरण के साधनों के रूप में सभी उच्च तकनीकी व शोध परक कार्य में पूरी तत्परता के साथ जुटना होगा. वर्तमान परिवेश में शिक्षकों की बदलाव की प्रक्रिया से युक्त होना अनिवार्य है. अध्यापन प्रमाण पर आधारित शैक्षिक प्रक्रिया से बच्चों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे. आज शिक्षा सेवा भाव के दायरे से निकलकर आर्थिक दृष्टिकोण से लाभ कमाने की ओर अक्सर है. बदलते परिवेश में शिक्षकों कि जिम्मेवारी इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है कि उनको बच्चों के सामने ऐसे आदर्श बनकर प्रस्तुत होने की आवश्यकता है कि जिसका अनुसरण करके छात्र शैक्षणिक विकास ही नहीं करें अपितु नैतिक विकास की सार्थकता को सिद्ध कर सके. आज समाज को ऐसे शिक्षक की आवश्यकता है जो पाठ्यक्रम का शिक्षण देने के साथ जीवन को भी संवारने का माध्यम बन सके. वहीं शिक्षार्थी नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक शिक्षा पाकर बेहतर इंसान बन सके. इस दौरान दो दर्जन से अधिक छात्र छात्राओं को पुरस्कृत किया गया. इस मौके पर आंचल कुमारी, प्रियंका कुमारी, रश्मिता कुमारी, अनु कुमारी, राजनंदनी कुमारी, अंशु कुमारी, अनुराग कुमार, अजीत कुमार, आदित्य कुमार, रचना कुमारी, आकृति कुमारी, शिवांगी कुमारी, संध्या कुमारी, चंचल कुमारी, रवि कुमार मौजूद थे.
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