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प्राथमिक उपचार का केंद्र बना एफआरयू

रोसड़ा : अनुमंडलीय अस्पताल को एफआरयू का दर्जा तो वर्षों पहले दिया जा चुका है. जिसके तहत मरीजों को हर तरह के बीमारी का इलाज संभव है. इससे हर बीमारी का जांच एवं ब्लड बैंक होता. जिससे आपातकाल मरीजों को रेफर के बदले यहीं इलाज कर जान बचायी जा सकती थी. परंतु ये सारी सुविधाएं […]

रोसड़ा : अनुमंडलीय अस्पताल को एफआरयू का दर्जा तो वर्षों पहले दिया जा चुका है. जिसके तहत मरीजों को हर तरह के बीमारी का इलाज संभव है. इससे हर बीमारी का जांच एवं ब्लड बैंक होता.

जिससे आपातकाल मरीजों को रेफर के बदले यहीं इलाज कर जान बचायी जा सकती थी. परंतु ये सारी सुविधाएं तो दूर यहां प्राथमिक उपचार के सिवाय कुछ नहीं होता.

सभी तरह के गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जिससे कितने मरीजों की मौत यहां से निकलने के बाद रास्ते में ही हो जाता है. इतना ही नहीं इस अस्पताल में कुल 15 डाक्टर के लिए सृजित पद है. जिसमें प्रभारी समेत मात्र छह पुरुष डाक्टर हैं.

जबकि यहां महिला मरीज की संख्या अधिक है. वहीं ए ग्रेड नर्स के लिए कुल 18 पद में मात्र छह नर्स हैं. कुछ माह पूर्व एक लेडीज डाक्टर ज्योत्स्ना पाठक को यहां पदस्थापित किया गया था.

परंतु वे मात्र डेढ माह रहने के बाद पीएमसीएच चली गयी. इसी तरह अनुबंध पर एक डाक्टर रवींदर कुमार अनुबंध पर आये थे. परंतु 15 दिन बाद ही वे ताजपुर रेफरल अस्पताल में प्रतिनियुक्त हो गये.

नर्स के भरोसे होता है प्रसव

अस्पताल के नर्स रेणू कुमारी, भारती कुमारी, रामायणी देवी, विभा कुमारी, अणिमा कुमारी एवं रंजू कुमारी द्वारा महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. इसमें डाक्टर की आवश्यकता हुई तो पुरुष चिकित्सक ही प्रसूता को देखते हैं.

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