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वोट त जाति के नाम

समस्तीपुर जिले में चुनाव प्रचार का शोर दिखने लगा है. यहां की दस सीटों पर पहले चरण में12 अक्तूबर को मतदान होना है. बड़े नेताओं की धुंआधार चुनावी सभाएं हो रही हैं. दिन भर आसमान में उड़ते हेलीकॉप्टर इसकी गवाही देते हैं. प्रचार वाहनों व एलक्ष्डी लगे वाहनों से भी वोटरों को लुभाने का प्रयास […]

समस्तीपुर जिले में चुनाव प्रचार का शोर दिखने लगा है. यहां की दस सीटों पर पहले चरण में12 अक्तूबर को मतदान होना है. बड़े नेताओं की धुंआधार चुनावी सभाएं हो रही हैं. दिन भर आसमान में उड़ते हेलीकॉप्टर इसकी गवाही देते हैं. प्रचार वाहनों व एलक्ष्डी लगे वाहनों से भी वोटरों को लुभाने का प्रयास हो रहा है, लेकिन वोटर चुप हैं. वे बहुत कुछ बोलने को तैयार नहीं दिखते. हालांकि तय उन्होंने सब कर लिया है. आपसे घुलने-मिलने पर ही अपनी पसंद ना-पसंद जाहिर करते हैं. समस्तीपुर के वोटरों की नब्ज टटोलती प्रभात खबर मुजफ्फरपुर संस्करण के संपादक शैलेंद्र की रिपोर्ट.
इ सब भेला के बादो अंत तक सब वोट जाति के नाम स ही गिरतै. चाहे कतबो लोग विकास के डंका पिटै. ओइ सअ कोई फरक पड़ै वाला नइ छै. इ सब बात सुनइत-सुनइत हम सब आब बूढ़ भेल जा रहल छी. बहुतो चुनाव देखलौं. अंत में सब कोई अप्पन-अप्पन जाइत कै उम्मीदवार के वोट दैय छै. यह कहते हुए चंद्रदेव झा अपने साथी कामेश्वर की ओर सेब बढ़ा देते हैं.
कहते हैं, खाओ, खाने से ही सब होगा. वोट तो आता-जाता रहता है. पचास की उम्र पार चुके चंद्रदेव राजनीतिक दलों से खफा हैं. कहते हैं, केवल भाषण में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है, तो जाति देखी जाने लगती है. राजनीतिक दल जाति का गणित देख कर अपने नेताओं की सभाएं करवाते हैं. ऐसे में कोई पाक-साफ बने तो बने. हम नहीं मानते हैं.
वोट तो अंत में जात-पांत में ही बंट जायेगा. यह कहते हुए चंद्रेश्वर समस्तीपुर जंकशन की ओर बढ़ रहे हैं. उन्हें दरभंगा जाने के लिए ट्रेन पकड़नी है.
स्टेशन रोड पर महेश बजाज से मुलाकात होती है. कृषि विभाग में अधिकारी थे. समाज के बारे में महेश स्पष्ट राय रखते हैं. कहते हैं, हमारे समस्तीपुर जैसा कोई शहर नहीं है. यहां की सबसे बड़ी विशेषता स्टेशन लगा बाजार है. ये स्टेशनवाला बाजार नहीं, बल्कि शहर का बाजार है. ऐसा और शहरों में देखने को नहीं मिलता है. यहां स्टेशन रोड पर ही बड़े-बड़े शो-रूम हैं, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था खराब है. महेश कहते हैं, काम के आधार पर ही प्रत्याशियों को वोट मिलने चाहिए. हमने यही तय कर रखा है.
स्टेशन रोड पर कपड़े की बड़ी दुकान चलानेवाले 32 साल के मनीष सर्राफ अब तक चार बार वोट डाल चुके हैं. ये चाहते हैं कि विकास हो और अपराध पर लगाम लगे.
रात के लगभग नौ बजे हैं. समस्तीपुर के बाजार में चहल-पहल कम नहीं हुई है. स्कूटी से बाजार पहुंची अनुपमा फल खरीदने के लिए एक ठेले पर रुकती हैं. मोलभाव के साथ चखने के बाद सेब खरीदती हैं. कहती हैं, राजनीति के जरिये ही देश को बदला जा सकता है. अभी तक जो बदलाव आया है, वो चाहे पॉजिटिव हो या फिर निगेटिव राजनीति की ही देन है. हम वोट जरूर करेंगे. उन्हें इस बात का अफसोस है कि लोग जात-पांत की बात कर रहे हैं. साथ ही यह भी कहती हैं कि यह तो हमारे समाज की हकीकत है. इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है.
रैक प्वाइंट समृद्धि का कारण
कपरूरीग्राम के लोग भी चुनाव की तैयारी में हैं. वोट डालने का मन बना चुके हैं, लेकिन खुल कर कुछ भी नहीं बोलते. गांव की समृद्धि के बारे में जरूर बात करते हैं. यहां खुशहाली का मुख्य कारण रैक प्वाइंट है, जिससे किसी-न-किसी रूप में गांव के 80 फीसदी से ज्यादा लोग जुड़े हैं. स्टेशन के सामने ट्रकों की लाइन लगी है. पास में इनके ड्राइवर व खलासी बैठे हैं. इन्हें रैक आने का इंतजार है, ताकि ये फिर से काम में लग सकें. वे बताते हैं कि रैक प्वाइंट से ढुलाई करनेवाले ट्रक व ट्रैक्टर ज्यादातर गांव के लोगों के ही हैं.
साथ ही यहां के लोग गिट्टी व्यवसाय से भी जुड़े हैं. रामनरेश सिंह कहते हैं, गांव में सब कुछ है. यहां की व्यवस्था से हम लोग संतुष्ट हैं. वह बताते हैं, कपरूरीग्राम में प्रखंड मुख्यालय बनने की भीबात हो रही है. सरकारी तौर पर काम हो रहा है, क्योंकि अभी यहां से प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है.
गुलजार है औद्योगिक इलाका
समस्तीपुर के औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें भले ही बदहाल हैं, लेकिन अंधेरा होने के साथ स्ट्रीट लाइट जल जाती है. भरत पासवान, राजेश कुमार से मुलाकात होती है. दोनों केमिकल फैक्ट्री में काम करते हैं.
इन्हें यहां दस साल से ज्यादा काम करते हो गया. वीर बहादुर पास की फ्लावर मिल में मजदूरी करते हैं. कहते हैं, यहां पर कई तरह की फैक्ट्रियां हैं. मुर्गी दाना से लेकर सुधा डेयरी तक का काम यहीं होता है. . यहां पर बियाडा का ऑफिस है. प्रभारी शारदाकांत ठाकुर इसी माह रिटायर होनेवाले हैं. सड़क की चर्चा होते ही बोले – कुछ दिनों में ही काम शुरू हो जायेगा.
लाइसेंस मिला, पर लोन नहीं
औद्योगिक इलाके में मुलाकात अखलाक से होती है, युवा उद्यमी हैं. इनके अपने सवाल हैं. बात शुरू होते ही अखलाक सवालों की झड़ी लगा देते हैं. ये फिनाइल बनाते हैं. पहले अलीगढ़ में काम करते थे. यहां लाइसेंस लेने में लंबा समय लगा. इसमें दाहिने आंख की रोशनी चली गयी. मुजफ्फरपुर से जब लाइसेंस मिला, तो हाथ के बने लोगो पर लिख कर दिया गया.
उसी पर सहायक उद्योग निदेशक ने हस्ताक्षर कर दिये. अगर हम हाथ से बने लोगो को लगा कर अपने उत्पाद का प्रचार करेंगे, तो हमारा क्या होगा? इसे कौन खरीदेगा? आज का जमाना आप देख ही रहे हैं. शो का जमाना है. बोले, हम माइक्रो इंडस्ट्री हैं, लेकिन हमें लोन नहीं मिल रहा. बैंकवाले कहते हैं, हम पांच लाख लोन नहीं देंगे. एक करोड़ लोन लेने को कहा जाता है. जब हमें जरूरत कुछ लाख रुपयों की है, तो हम एक करोड़ लोन क्यों लें?
खैनी की खेती: सरकारी मदद नहीं
सरायरंजन के सरैसा खैनी की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. खैनी की खेती के लिए सरकारी स्तर से कोई मदद नहीं मिलती है. फसल बीमा का लाभ भी नहीं मिलता है. मो नौशाद बताते हैं कि पहले खैनी उत्पादन में पैसा था. लेकिन अब मजदूर नहीं मिलते हैं. खाद की कीमत भी काफी बढ़ गयी है.
उत्पादक अब दूसरी खेती का रुख करने लगे हैं. जब सरकारों ने ही हम खैनी उत्पादकों को सौतेला मान लिया है, तो हम चुनाव की क्या बात करें? वोट देना है, इसी में लोकतंत्र की ताकत है. हम लोग वोट देने जायेंगे?
बहुत बदल चुका है कपरूरीग्राम : जननायक कपरूरी ठाकुर का गांव अब संपन्न और समृद्ध है. कपरूरीग्राम में सबसे पहले वह स्कूल दिखता है, जिसमें जननायक प्रधानाचार्य थे. स्कूल साफ-सुथरा है. गांव के अंदर सड़कें बनी हैं. घरों तक सप्लाई का पानी आता है. स्वास्थ्य केंद्र, पुस्तकालय भी है. बिजली के लिए सब-स्टेशन भी बना है. गांव से सटा कपरूरीग्राम स्टेशन है.
इसके पास ही कॉलेज है, जिसकी दीवार पर लिखा है -कपरूरी ठाकुर का कथन..निर्भय होकर जियो, स्वाधीन होकर चलो. लोकहित की राह पर, स्वहित का विसजर्न कर दो. इसी में उनके जीवन दर्शन की झलक दिखती है.
इस तरह राजनीति कैसे आगे बढ़ेगी?
समस्तीपुर में स्टेशन चौक के पास ही रामबाबू चौक स्थित राजू की चाय की दुकान. दुकान पर बैठे 12वीं के छात्र रोहन राय, प्रभात व केशव से बात होती है. प्रभात कहते हैं कि हम वोट डालेंगे, लेकिन हमने ये तय नहीं किया है कि वोट किसे और क्यों देना है? हमारे घर के लोग जिसे वोट देने को कहेंगे. हमारा वोट उसी को मिलेगा.
ऐसी ही बात रोहन भी बताते हैं. पिछले सालों में सूबे के हालात बदले हैं, लेकिन चुनाव के समय इस पर बात नहीं होती है. आखिर इससे राजनीति आगे कैसे बढ़ेगी?
जदयू/भाजपा राजद/लोजपा महागंठबंधन एनडीए वाम दल
कल्याणपुर 62124 (जदयू) 31927 (लोजपा) महेश्वर हजारी (जदयू) प्रिंस राज (लोजपा) जीवछ पासवान (माले)
वारिसनगर 46245 (जदयू) 26745 (राजद) अशोक कुमार (जदयू) चंद्रेश्वर राय (लोजपा) प्रेमनाथ मिश्र (भाकपा)
समस्तीपुर 42852 (राजद) 41025 (जदयू) अख्तरुल इस्लाम साहीन (राजद) रेणु कुशवाहा (भाजपा) सुपेंद्र प्रसाद सिंह (माले)
उजियारपुर 42791 (राजद) 29760 (जदयू) आलोक कु. मेहता (राजद) कुमार अनंत (रालोसपा) अजय कुमार (माकपा)
मोरवा 40271 (जदयू) 33421 (राजद) विद्यासागर निषाद (जदयू) सुरेश राय (भाजपा) रामप्रीत पासवान (भाकपा)
सरायरंजन 53946 (जदयू) 36389 (राजद) विजय कु. चौधरी (जदयू) रंजीत निगरुणी (भाजपा) ब्रज किशोर सिंह चौहान (माले)
मोहिउद्दीननगर 51756 (भाजपा) 37405 (राजद) एज्या यादव (राजद) सत्येंद्र ना. सिंह (भाजपा) मनोज कुमार सुनील (माकपा)
विभूतिपुर 46469 (जदयू) 34168 (माकपा) राम बालक सिंह (जदयू) रमेश कुमार राय (लोजपा) रामदेव वर्मा (माकपा)
रोसड़ा 57930 (भाजपा) 34811 (राजद) अशोक कुमार (कांग्रेस) मंजू हजारी (भाजपा) इंदल पासवान (भाकपा)
हसनपुर 36767 (जदयू) 33476 (राजद) राज कुमार राय (जदयू) विनोद चौधरी निषाद (रालोसपा) प्रयाग चंद्र मुखिया (भाकपा)

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