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दैनिक सफाई कर्मियों ने नप कार्यालय में फेंका कचरा, आदेश की प्रतियां फूंकीं

समस्तीपुर : नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर जारी आदेश के आलोक में एक फरवरी से नप में दैनिक मजदूरों से काम लेने पर प्रतिबंध लग गया. सरकार के इस आदेश के खिलाफ सोमवार को सैकड़ों की संख्या में नप के दैनिक मजदूरों ने अहले सुबह नप कार्यालय परिसर में कचरा फेंक प्रदर्शन […]

समस्तीपुर : नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर जारी आदेश के आलोक में एक फरवरी से नप में दैनिक मजदूरों से काम लेने पर प्रतिबंध लग गया. सरकार के इस आदेश के खिलाफ सोमवार को सैकड़ों की संख्या में नप के दैनिक मजदूरों ने अहले सुबह नप कार्यालय परिसर में कचरा फेंक प्रदर्शन किया एवं सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की. वहीं, बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के बैनर तले दैनिक सफाई कर्मियों ने विरोध मार्च निकाल लोकायुक्त के आदेश की प्रति को जलाकर अपना विरोध प्रकट किया. इस दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई.

लोकायुक्त के आदेश को अविलंव वापस लो, गरीब-मजदूर विरोधी सरकार मुर्दाबाद, नगर परिषद की मनमानी नहीं चलेगी, गरीब मजदूरों को नौकरी से निकालना बंद करो आदि नारे लगाते हुए सफाई कर्मी समाहरणालय पहुंचे, जहां पर नुक्कड सभा का आयोजन किया गया.
बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के राज कुमार राम व सचिव लाल बहादूर साह ने कहा कि राज्य सरकार गरीब-मजदूरों को नौकरी के अधिकार से वंचित कर गुलाम की तरह काम कराना चाहती है, जो जमींदारी प्रथा की याद ताजा करा रही है. दैनिक कर्मचारियों को सेवा से मुक्त करना सरकार की दमनकारी नीति है. गरीब विरोधी सरकार मजदूरों से उनका रोजगार छीन रही है. यह घोर निंदनीय है.
शहर में नहीं हो सका कचरे का उठाव
विभाग के आदेश पर नगर परिषद प्रशासन द्वारा दैनिक सफाई कर्मियों को हटाना अब शहर वासियों को भारी पड़ने लगा है. विगत तीन दिनों से शहर की सफाई व्यवस्था बिल्कुल ही चरमरा गयी है. कुल मिला कर हालात यह हैं कि पूरा शहर गंदगी से पटा पड़ा है. आउटसोर्सिंग के खिलाफ नप के दैनिक सफाई मजदूरों के अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण सड़कों से कचरा उठाने का सफाई कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गया है.
गली-मोहल्ले में फैली गंदगी ने जीना मुहाल कर दिया है. जगह-जगह कचरे का अम्बार दिख रहा है और इससे उठने वाली तेज दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल हो रहा है. जबकि कचरे पर सूअर व कुत्ते उमड़कर उसे इधर-उधर फैलाकर गंदगी पसार रहे हैं. इस गंदगी से लोग परेशान हैं जबकि नगर परिषद ने सफाई के लिए कोई वैकिल्पक व्यवस्था अभी तक नहीं की है.
वैसे तो नप प्रशासन अपने स्थायी मजदूरों से काम लेने की बात कह रहा है लेकिन हकीकत यही है कि वर्तमान समय में स्थायी मजदूरों की संख्या सैकड़ा के आंकड़ा से भी नीचे है. ऐसी स्थिति में शहरी क्षेत्र के बुद्धिजीवियों की माने तो उनका कहना है सभी 29 वार्डो में आउटसोर्सिंग होने से पूर्व तक साफ सफाई के मामले में स्थिति काफी विकट हो सकती है.

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