महिलाओं के बाल काटे जाने की अफवाह से लोगों में भय
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पोजेशनल सिंड्रोम है बाल काटने की घटना
महिलाओं के बाल काटे जाने की अफवाह से लोगों में भय समस्तीपुर : देश के विभिन्न शहरों के बाद जिले में भी महिलाओं के बाल काटे जाने की घटना से ग्रामीण इलाकों में भय का माहौल बना हुआ है. अफवाह इतनी तेजी से फैल रही है कि गांवों में महिलाएं रतजगा भी कर रही हैं. […]
समस्तीपुर : देश के विभिन्न शहरों के बाद जिले में भी महिलाओं के बाल काटे जाने की घटना से ग्रामीण इलाकों में भय का माहौल बना हुआ है. अफवाह इतनी तेजी से फैल रही है कि गांवों में महिलाएं रतजगा भी कर रही हैं. तेजी से अफवाह फैलने के कारण सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की महिलाएं मास हिस्ट्रिया का शिकार हो रही हैं. मनोविश्लेषक इसे पोजेशनल व आइडेंटिटी डिसऑर्डर का कारण बता रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक गरीब परिवार व आर्थिक तंगी के कारण बचपन में बालमन विकसित नहीं होने के कारण युवतियां समाज में अपनी अलग पहचान नहीं होने का भ्रम पाल लेती हैं.
अवचेतन मन हावी होने के कारण वह आइडेंटिटी डिसऑर्डर का शिकार भी हो जाती हैं. इस तरह के मामले में लोग दोहरे व्यक्तित्व में जीने के आदी हो जाते हैं. मनोविश्लेषकों के मुताबिक किसी स्थान पर इस तरह की घटना की जानकारी होने पर अटेंनेंस सिकिंग विहेवियर (दूसरों का ध्यान आकर्षित करने का नकारात्मक व्यवहार) के कारण इस हरकत को अपने पर भी आजमाने की कोशिश की जाती है. यह पूरा मामला दमित इच्छा के कारण मन का पूरी तरह विकास नहीं होने से जुड़ा बताया जा रहा है. मनोविश्लेषकों के मुताबिक कई देशों में समय-समय पर इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं.
नकारात्मक व्यवहार है पोजेशनल डिसऑर्डर
समस्तीपुर कॉलेज के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ अभिलाषा सिंह ने बताया कि पोजेशनल डिसआॅर्डर अपनी पहचान को साबित करने के लिए नकारात्मक व्यवहार है. आर्थिक तंगी व समाज में किसी कारण उपेक्षित महसूस करने वालों में इस तरह की शिकायत पायी जाती है. धीरे-धीरे यह साइकोपैथ की श्रेणी में आ जाता है. मनोवैज्ञानिक सलाह व साइकोथेरापी की जरूरत इस तरह के मामलों में होती है. इस तरह के मामले सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की महिलाओं में सामने आ रहा है. मनोविज्ञान की भाषा में इसे पोजेशनल सिंड्रोम कहा जाता है. दमित इच्छा के कारण अवचेतन मन की शिकार होने के कारण अपनी पहचान बनाने की कोशिश की जाती है. एक स्थान से दूसरे स्थान पर मामला सामने आने पर अफवाह मास हिस्ट्रिया का रूप भी ले लेता है. लोगों को अफवाह पर ध्यान न देते हुए दूसरों को भी जागरूक करनी चाहिए.
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