सातवें दिन सुदामा चरित्र पर हुई विस्तार पूर्वक चर्चा सहरसा . श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर व श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी जगद्गुरु रामानुजाचार्य रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद के सानिध्य में आदर्श ऊर्जा ग्राम रौंता खेम में श्रीश्री 108 श्री शतचंडी महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन सुदामा चरित्र पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी. चर्चा करते प्रभु के 1608 विवाहों का संक्षिप्त वर्णन किया. जिसके बाद जरासंध, भीम युद्ध का वर्णन हुआ. सुदामा के चरित्र का वर्णन हुआ. स्वामी आगमानंद ने कहा कि सुदामा कोई भिखारी नहीं थे, ना ही दरिद्र थे. वे तो भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे. उन्होंने कहा कि प्रभु ने जिसका सुंदर दामन थाम रखा हो, वही सुदामा है. सुदामा त्याग की मूर्ति का नाम है. भगवान ने सुदामा को बैठने के लिए अपने दिव्य सिंहासन प्रदान किया. उन्होंने 24 प्रकार के गुरुओं का वर्णन किया. सुदामा के स्वागत सत्कार के बाद कृष्ण उनसे हंसी मजाक करने लगे. सुदामा ने कहा कि लगता है भाभी ने मेरे लिए कोई उपहार भेजा है. जिसे तुम अपनी बगल में दबाए क्यों हो, मुझे देते क्यों नहीं. तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे. बचपन में जब गुरुमाता हमारे लिए चने देती थी तो सारा तुम हड़प जाते थे. उसी तरह से आज भी तुम भाभी के दिये हुए चिवड़े को मुझसे छुपा रहे हो. इस कथा को सुनकर श्रोतागण भाव विह्वल हो उठे एवं आंखें नम हो गयी. स्वामी ने कहा कि मित्रता करो तो भगवान श्रीकृष्ण एवं सुदामा जैसी करो. सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे एवं बिना बताए ही मदद कर दे. लेकिन आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गयी है. जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है. जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है. संगीतमय कथा के साथ साथ झांकी चित्रण देखकर श्रोता भाव विभोर हो गये. लगातार सात दिनों तक श्रद्धालु भक्त ने भक्ति की गंगा में गोता लगाया. भजन सम्राट डॉ हिमांशु मोहन मिश्र दीपक के साथ कलाकारों ने सामूहिक सुंदरकांड का पाठ किया. मौके पर सौमी मजूमदार, माधवानंद ठाकुर, धीरजकांत, बलवीर सिंह बग्घा, पवन दूबे, दिलीप जी, गुलशन, नंदन, रवीश, कुंदन, अजीत सिंह, भजो हरि, राजू तिरपाल ने भजन गाये. रामनवमी पर यहां भगवान राम एवं स्वामी आगमानंद का भव्य समारोह के साथ अवतरण दिवस मनाया गया. हजारों की संख्या में स्वामी के अनुयायी, साधक एवं शिष्यों के साथ दूर दराज से लोग पहुंचे. लगमाघाट पुल के पास से सुबह सात बजे से शोभायात्रा निकाली गयी. इस दौरान स्वामी आगमानंद महाराज भव्य रथ पर विराजमान रहे. हजारों की संख्या में लोग शोभायात्रा में शामिल हुए एवं पुष्प की वर्षा हुई. इसके बाद गुरु पूजन, चरण पादुका पूजक, भजन, सत्संग का आयोजन किया गया. मौके पर श्वेता राज, रूचि रत्ना, दिलीप शास्त्री, आशीष पांडेय, कुंदन बाबा, पंडित ज्योतिन्द्रानाथ महराज, ज्योति कुमार सिंह, धर्मेन्द्र राज सहित अ मौजूद थे.
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