भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ शुरू किया गया आंदोलन सत्तरकटैया . भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नयी दिल्ली व बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ केवीके के कर्मचारियों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू हो गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नयी दिल्ली व बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर प्रशासन द्वारा मनमाने ढंग से लिए गये निर्णय के विरोध में केवीके व एआईसीआरपी के राष्ट्रीय संगठन के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रीय संगठन के संयोजक व कृषि विज्ञान केंद्र ईम्लपाईज एसोसिएसन के अध्यक्ष डॉ नित्यानंद, वरीय वैज्ञानिक व प्रधान, केवीके सुपौल के आवाहन पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर अंतर्गत संचालित सभी केवीके के सभी कर्मचारियों ने कलमबंद हड़ताल एवं प्रदर्शन किया. जिसका समर्थन 21 राज्यों के प्रतिनिधियों ने किया. बाकी राज्यों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नयी दिल्ली के अधीनस्थ केवीके के अनुरूप समान वेतनमान, पदोन्नति, समान सेवानिवृति आयु एवं सेवानिवृति लाभ जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी मिल रही है. कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष के अनुसार मुख्य मांग परोदा उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुरूप वन नेशन वन केवीके, वन पॉलिसी का कार्यान्वयन तथा आईसीएआर अपने अधीनस्थ सीधे संचालित 9 प्रतिशत केवीके को सेवा शर्तों के अनुरूप सुविधा दे रही है. जबकि 91 प्रतिशत राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, एनजीओ, राज्य सरकारों और अन्य संस्थानों द्वारा संचालित केवीके कर्मचारियों को 20 अगस्त 2024 को दिए गये आदेश में सेवाशर्तों एवं समान कार्य समान वेतन के विरूद्ध पदोन्नति, सेवानिवृति आयु व सेवानिवृति लाभ का वहन गैर आईसीएआर संचालित संस्थाओं द्वारा अपने स्तर से करने के साथ ही उनके द्वारा पूर्व से दिए जा रहे सभी लाभों से वंचित कर दिया गया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नयी दिल्ली, जो देश में कृषि अनुसंधान का शीर्ष संगठन पर आरोप है कि सीधे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को तरजीह देते हुए गैर-आईसीएआर नई दिल्ली केवीके कर्मचारियों की बारंबार उल्लेखित समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया. उनके द्वारा सौ दिनों में सभी समस्याओं का समाधान 20 अगस्त 24 के विवादित आदेशों की वापसी व आपसी वादा पर भरोसा करते हुए गैर-आईसीएआर के कर्मचारियों ने उनके द्वारा संचालित विकसित कृषि संकल्प अभियान (खरीफ 2025) में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाया. जबकि अब तक कोई वादा नहीं पूरा होने की स्थिति में कर्मचारियों को असंतोष और गहरा गया. जिसके विरोध में आईसीएआर द्वारा संचालित होने वाला आगामी प्रस्तावित विकसित कृषि संकल्प अभियान रबी 2025 कार्यक्रम 3-18 अक्तूबर का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है. जो राष्ट्र विरोधी बहिष्कार नहीं, बल्कि न्याय की सामूहिक पुकार है. 1994 में स्थापना के बाद से कृषि विज्ञान केंद्र भारत की कृषि प्रणाली की रीढ़ बनी हुई है. जो पिछले 50 वर्षों से किसानों की सेवा कर रही है. केवीके के कर्मचारियों को न्याय और समानता मिलनी चाहिए. पिछले वादा खिलाफी को देखते हुए राष्ट्रीय संगठनों ने वन नेशन, वन केवीके, वन पॉलिसी के तहत परोड़ा समिति के सिफारिशों को यथाशीघ्र लागू करने, सभी केवीके में समान वेतन, पदोन्नति और सेवानिवृति लाभ लिखित आदेश जारी की जाये.
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