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गोवर्धन पूजा संपन्न, आज मनेगा भाई दूज व होगी भगवान चित्रगुप्त की पूजा

गोवर्धन पूजा संपन्न, आज मनेगा भाई दूज व होगी भगवान चित्रगुप्त की पूजा

आज रिश्तों में घुलेगी स्नेह की मिठास सिमरी बख्तियारपुर . दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा संपन्न हो गयी. अब भाई दूज और भगवान चित्रगुप्त की पूजा की तैयारियां पूरी हो चुकी है. आज चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज मनाया जायेगा. रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक भैया दूज के लिए भी बाजार सजकर तैयार है. मिठाई और गिफ्ट की दुकानों पर बहनों के लिए स्पेशल गिफ्ट पैक तैयार किये गये हैं, जिसकी काफी डिमांड है. इस पर्व को अलग-अलग समुदाय अपनी परंपरा के अनुरूप मनाते हैं. बंग समुदाय में पर्व को भाई फोटा भी कहते है. गोबर का बनाया गोवर्धन भारतीय धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर एक पीढ़ी से दूसरी और दूसरी से तीसरी पीढ़ी में प्रवाहित हो रही है. इसी में गोवर्धन पूजा भी शामिल है. वृंदावन में स्थित गोवर्धन पर्वत स्वयं नारायण का स्वरूप है. सनातन धर्मावलंबी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा में शनिवार को गोबर के गोवर्धन बनाकर पीला फूल, अक्षत, चंदन, धूप-दीप से उनकी पूजा की. गोवर्द्धन पूजा पर इस दिन गौशाला में गाय को स्नान कराकर उनको नये वस्त्र, रोली चंदन, अक्षत, पुष्प से पूजा के बाद हरी घास, भूषा, चारा, गुड़, चना, केला, मिठाई खिलायी. गौ की सेवा करने से कई तीर्थों में स्नान के समान पुण्य मिलता है. गोवर्धन पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है गोवर्धन पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था तथा ब्रजवासियों की रक्षा की थी. इससे उन्होंने लोगों को प्रकृति की सेवा व संवर्धन का संदेश दिया था. तभी से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन की पूजा होती है व अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. भाइयों की लंबी उम्र की कामना करेंगी बहनें भैया दूज को आम बोलचाल की भाषा में गोचन कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है. इस दिन बजरी, नारियल, पान तथा रेगनी के कांटे का अलग-अलग महत्व है. रेंगनी का कांटा एक ऐसा नुकीला कांटा होता है, जिसकी चुभन दर्दनाक होती है. गौधन के मौके पर बहनें अपनी जीभ पर इसे चुभोती है तथा दर्द महसूस करती है. गोधन कूटने की है अनोखी रस्म बिहार-झारखंड में भइया दूज पर गोधन कुटाई की अनोखी रस्म की जाती है. बहनें गोबर से यमलोक, सांप-बिच्छ का चित्र बनाती है. फिर अपने भाई की सलामती के लिए बहनें उसे मुसल से कुटती हैं और अवरा कुटीला भवरा कुटीला, कुटीला यम के दुआर, कुटीला भइया के दुश्मन, चारू पहर दिन रात जैसे पारंपरिक गीत गाती है. इसके बाद खुद के जीभ में कांटा चुभाेती हैं और गलती की क्षमा मांगते हुए भाई को सुखी व स्वस्थ रखने की भगवान से कामना करती हैं. प्यार और समर्पण का प्रतीक है भाई दूज हर वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज मनाया जाता है. इस बार रविवार को मनाया जायेगा. बहनें इसकी तैयारी में जुटी हैं. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु व जीवन में सफलता की कामना करती हैं. बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर पूजा कर उनकी आरती करती हैं और भोजन-मिठाई खिलाकर नारियल देती हैं. उनकी दीर्घायु की कामना के लिए हाथ जोडकर यमराज से प्रार्थना करती है. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है, मान्यता के अनुसार इसी दिन मृत्यु के देवता यम की बहन यमी (सूर्य पुत्री यमुना जी) ने अपने भाई यमराज को तिलक लगाकर भोजन कराया था तथा भगवान से प्रार्थना की थी कि उनका भाई दीर्घायु हो. अनुराधा नक्षत्र में होगी भगवान चित्रगुप्त की पूजा कार्तिक शुक्ल द्वितीया में तीन नवंबर रविवार को अनुराधा नक्षत्र एवं सौभाग्य योग में चित्रगुप्त भगवान की पूजा-अर्चना होगी, सनातन धर्मावलंबी में विशेषकर कायस्थ समुदाय के श्रद्धालु विधि-विधान से चित्रगुप्त भगवान की पूजा-अर्चना करेंगे. मान्यता है कि चित्रगुप्त भगवान व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा का बही खाता रखते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार चित्रगुप्त की पूजा करने से बुद्धि. वाणी और लेखन का आशीर्वाद मिलता है.

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