सहरसा . जिलाधिकारी दीपेश कुमार व पुलिस अधीक्षक हिमांशु के नेतृत्व में सोमवार को मंडलकारा में औचक जांच की गयी. इस दौरान सभी की तालाशी ली गयी. जिसमें किसी भी प्रकार का आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ. काराधीक्षक निरंजन कुमार पंडित ने बताया कि यह नियमित जांच थी. जिसमें कैदियों की गहन जांच पड़ताल की गयी. जांच के दौरान किसी भी कैदी के पास से कोई आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई. उन्होंने कहा कि औचक निरीक्षण के दौरान कैदी सहित उनके कमरों की भी तलाशी ली गयी. मौके पर सदर एसडीओ श्रेयांश तिवारी सहित अन्य वरीय अधिकारी व पुलिस बल मौजूद थे. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में वसूली का मामला, लाभार्थियों में आक्रोश नवहट्टा. प्रखंड क्षेत्र में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के लाभार्थियों के साथ बड़े पैमाने पर वसूली की चर्चा जोरों पर है. जानकारी के अनुसार योजना से जुड़ी जीविका दीदी व उनके परिजन लाभार्थियों से योजना के लाभ के नाम पर 5 सौ रुपए से लेकर एक व दो 2 हजार रुपये तक की अवैध वसूली कर रहे हैं. लाभार्थियों ने आरोप लगाया है कि यदि कोई इस वसूली की शिकायत करता है या मामले की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसे योजना के तहत मिलने वाले प्रथम क़िस्त 10 हजार व बाद में 2 लाख रुपये तक के लाभ से वंचित करने की धमकी दी जाती है. इन घटनाओं ने न केवल योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि गरीब व जरूरतमंद महिलाओं के अधिकारों पर भी गहरी चोट पहुंचाई है. क्षेत्रीय स्तर पर इससे लाभार्थियों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने इस मामले में तत्काल जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है. ताकि योजना का वास्तविक उद्देश्य गरीब महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण सही मायनों में पूरा हो सके. डरहार पंचायत के सुधीर सादा ने बताया कि उनके पत्नी व परिजन का कागजात जीविका सीएम द्वारा ले लिया गया. लेकिन रिश्वत नहीं देने पर उन्हें लाभ से वंचित कर दिया गया. सुधीर सादा ने कहा कि मामले में कार्रवाई हो व अवैध रूप से वसूली करने वाले पर उच्चस्तरीय कार्रवाई हो. इस बाबत प्रभारी जीविका बीपीएम आलोक मिश्रा ने बताया कि किसी भी जीविका सदस्य द्वारा अगर वसूली की गयी है तो वे लिखित आवेदन दें. रूप से दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. इस बाबत बीडीओ संतोष कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में वसूली करना जघन्य अपराध है. पीड़ित लाभार्थी के आवेदन पर जांच कर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
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