गड़बड़ी. जिला प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
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एक्सपायरी खाद्य ले सकते हैं जान
गड़बड़ी. जिला प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जिले के लोग खाद्य सुरक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं. यहां बिक रहे कई उत्पादों में बैच नंबर, मैनुफेक्चरिंग डेट, बेस्ट यूज, एक्सपायरी डेट नहीं होता है. ऐसे में कभी भी बड़े हादसे की आशंका रहती […]
जिले के लोग खाद्य सुरक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं. यहां बिक रहे कई उत्पादों में बैच नंबर, मैनुफेक्चरिंग डेट, बेस्ट यूज, एक्सपायरी डेट नहीं होता है. ऐसे में कभी भी बड़े हादसे की आशंका रहती है.
सहरसा सिटी : खाद्य सुरक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से शहर से लेकर गांव तक के लोग बासी खाद्य पदार्थ खाने को मजबूर है. शहर में इन दिनों नई-नई कंपनियां बाजार में अपना साम्राज्य फैला रही है. इन कंपनियों की दुस्साहस इतनी बढ़ी है कि खाद्य पदार्थ के पैकिंग रैपर पर मैनुफेक्चरिंग व एक्सपायरी तिथि तक लिखना मुनासिब नही समझते हैं. ये कंपनियां ब्रेड, बिस्कुट, पानी सहित अन्य खाने-पीने वाली वस्तुओं को बाजार में बेच लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है.
जानकारी के अनुसार कुछ कंपनियां शहर में ही अपने पदार्थ की पैकिंग कर स्थानीय बाजार में दूसरे जिले के नाम व पता लगे रैपर में बेचते हैं. बावजूद प्रशासन चैन की नींद सो रहा है.
नहीं रहता है कोई रेट
बाजार में अचानक अपनी पैठ बना चुकी इन कंपनियों के संचालक का हौसला इतना बुलंद है कि गांव की बात तो दूर शहर में बिना किसी झिझक के खाद्य सुरक्षा को ताक पर रख कर सामान बेच रहे हैं. इन वस्तुओं के पैकेट पर बैच नंबर, मेनुफेक्चरिंग डेट, बेस्ट यूज, एक्सपायरी डेट लिखना भी मुनासिब नहीं समझती है. जबकि किसी भी खाने पीने के समान में मेनुफेक्चरिंग व एक्सपायरी तिथि लिखा जाना आवश्यक है. अन्यथा कंपनी पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
बाजार में है पैठ
अन्य कंपनियों की अपेक्षा सस्ती दर पर बाजार में निर्मित वस्तुएं उपलब्ध कराने के कारण ये कंपनियों बाजार में अपनी पैठ बना चुकी है. कई दुकानदारों ने बताया कि इन ब्रेड, बिस्कुट, पानी में मार्जिन ज्यादा है. जबकि पूरे नियम कानून का पालन करने वाली कंपनियों में यह मार्जिन कम है. मार्जिन अधिक होने के कारण हमलोगों को बेचने में भी सहूलियत होती है. दुकानदारों ने बताया कि लोकल कंपनियों बचा माल वापस कर लेती है. जबकि कुछ कंपनियां ऐसा नहीं करती है. जानकार बताते हैं कि ये कंपनियों खाद्य सुरक्षा वापस कर पुन: उसे दूसरे बाजार में बेच देते हैं.
क्या कहते हैं चिकित्सक
इस बाबत शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विनय कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह के खाद्य पदार्थ के सेवन से लोगों को आंत व लीवर में सूजन, अनपच की शिकायत, पेट में दर्द, कमजोरी, भूख की कमी, उल्टी हो सकती है. चिकित्सक डॉ सिंह ने कहा कि लोगों को मेनुफेक्चरिंग व एक्सपायरी तिथि देखकर ही खरीदना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके अलावे खुले में रखे खाद्य पदार्थ का उपयोग भी नहीं करना चाहिए
खरीदने से पहले खाद्य उत्पाद की मैनुफेक्चरिंग व एक्सपायरी डेट जरूर देखें
क्या है नियम
शहर में इन दिनों ब्रेड बनाने वाली कंपनियों की बहार सी आ गयी है. नित्य रोज नई ब्रेड लोगों के हाथ पहुंच रहा है. ये कंपनियां लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो कर रही है. अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को राजस्व व वातावरण को प्रदूषित भी कर रही है. मिली जानकारी के अनुसार, इस तरह की कंपनी चलाने वालों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2011 के अंतर्गत फूड सेफ्टी लाइसेंस, फैक्ट्री लाइसेंस, प्रदूषण नियंत्रण लाइसेंस, उद्योग विभाग से लाइसेंस, ब्रांड नेम का निबंधन, माप-तौल विभाग से लाइसेंस व अन्य कागजात को पूर्ण करने की आवश्यकता है.
वहीं क्वालिटी टेस्ट के लिए समय-समय पर सांइस्टिफिक लेबोरेट्री से सैंपल की जांच करानी पड़ती है. यदि विभाग द्वारा सख्ती से इन कंपनियों की जांच करें तो कई कंपनियां रातों-रात बंद हो जाएगी. खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियां लोगों के स्वास्थ्य के साथ एक तरफ खुलेआम खिलवाड़ कर रही है, लेकिन अधिकारियों की नजर इस ओर नही जा रहा है. जिससे अधिकारियों के कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगना वाजिब है. लोगों ने विभाग से इस तरह के उत्पादक पर मामला दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है.
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