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पानी की तलाश में पहुंचने लगे मवेशियों के झुंड

गरमी के शुरुआती दिनों में दिखने लगा जल संकट सहरसा नगर : पानी की तलाश में खगड़िया-मानसी से लगभग सत्तर किलोमीटर का रास्ता तय करके सहरसा पहुंचे, लेकिन यहां भी पर्याप्त रुप से पानी वाली जगह नहीं मिली तो कोशी तटबंध की तरफ बढ़ गये. दस से बारह पशुपालक अपने लगभग एक हजार मवेशियों के […]

गरमी के शुरुआती दिनों में दिखने लगा जल संकट

सहरसा नगर : पानी की तलाश में खगड़िया-मानसी से लगभग सत्तर किलोमीटर का रास्ता तय करके सहरसा पहुंचे, लेकिन यहां भी पर्याप्त रुप से पानी वाली जगह नहीं मिली तो कोशी तटबंध की तरफ बढ़ गये. दस से बारह पशुपालक अपने लगभग एक हजार मवेशियों के साथ पानी की तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन जल स्तर नीचे जाने की वजह से ताल-तलैया सब सूख गये हैं. इन्हें पानी नहीं मिल रहा है. दिनोंदिन पानी की तलाश में आगे बढ़ रहे हैं. घर से इनकी दूरी बढ़ रही है. इसके साथ पानी खोजने का दायरा भी.
जेठ से पहले सूखने लगे तालाब: खगड़िया से पहुंचे पशुपालकों ने बताया कि उनके यहां की स्थिति काफी खराब हो गयी है. पानी की समस्या हो गयी, जिससे इन लोगों को घर-परिवार छोड़ मवेशियों के साथ पानी की खोज में निकलना पड़ा. सहरसा के आसपास भी इन लोगों को पानी नहीं मिला. यहां भी पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है.
जल स्तर नीचे जाने की वजह से बोरिंग, चापाकल, कुआं, तालाब सूख चुके हैं. पानी की मार से पशुपालक किसान पानी की खोज में दूसरे जिलों में जा रहे हैं, जहां उनको पानी मिलेगा, अपने मवेशियों के साथ अपना डेरा-डंडा गाड़ देंगे. कोसी नदी के किनारे नदी, नाले, तालाब में पानी साल भर उपलब्ध रहती है. वहां दूसरे जिलों के पशुपालक अपने मवेशियों के साथ डेरा-डंडा गाड़ देते है. गरमी के मौसम में इस क्षेत्र के लोगों को पानी की उपलब्धता होने के कारण दूध की कमी नहीं खलती है. जबकि जेठ के मौसम में गाय व भैंस दूध देने की मात्रा कम कर देती है.
सरकारी सिस्टम है फेल : पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीब लगा रहे हैं, लेकिन वो भी विफल हो जा रही हैं. यहां तक कि खेतिहर किसान भी पानी की मार झेल रहे हैं. खेत में लगी फसल पानी के अभाव में सूख रही है. लोगों का कहना है कि शुरुआती गरमी में यह हाल है, तो भीषण गरमी में पानी की स्थिति और भी भयावह हो जायेगी. वहीं क्षेत्र में जितने भी सरकारी नलकूप हैं, उनमें एक-दो ही पानी दे रहे हैं, बाकी बंद हैं. लेकिन, सरकारी स्तर से पानी की किसी तरह की व्यवस्था नहीं की जा रही है.
बदहाली. 2002 में तीन करोड़ से बना था थ्री स्टार होटल
टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स को भी रहता है लग्न का इंतजार
मत्स्यगंधा झील की सुंदरता जब परवान पर थी, साल 2002 में तीन करोड़ रुपये की लागत से थ्री स्टार होटल कोसी विहार का निर्माण किया गया था. लेकिन झील के मृतप्राय हो जाने से अब पर्यटक यहां नहीं आते. सिर्फ सरकारी कार्यक्रमों या लग्न के समय ही होटल की रौनक लौटती है.
सहरसा मुख्यालय : ‘हेव ए डेट विथ ग्लोरियस डेस्टीनेशन’ का स्लोगन देकर पर्यटकों को लुभाने और बुलाने वाले टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स ‘होटल कोसी विहार’ को भी लग्न का ही इंतजार रहता है. शादी-ब्याह के अलावी यहां सरकारी कार्यक्रमों के दौरान सरकारी अधिकारी ही ठहरते हैं. सामान्य रूप से ठहराव के लिए लोग यहां नहीं आते हैं और न ही रेस्टूरेंट में ही स्थानीय लोगों का आना होता है. टूरिस्ट होटल का यह हाल सिर्फ और सिर्फ मत्स्यगंधा जलाशय के मृतप्राय हो गया है. बावजूद इसके सरकार विमुख बनी हुई है.
झील की लोकप्रियता से बना होटल : शहरी क्षेत्र के उत्तरी छोर पर 1997 में बने मत्स्यगंधा जलाशय की रौनक लगातार बढ़ती चली गयी थी. झील में डाले गये रंग-बिरंगे पैदल बोट, पतवार बोट व मोटर बोट की सैर करने वालों की संख्या भी बढ़ती गयी. झील के सौंदर्य व विदेशी पंछियों को देखने दूर-दराज से लोग आने लगे थे.
संपूर्ण बिहार से यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में भी लगातार इजाफा होता रहा. झील की बढ़ती लोकप्रियता व लगातार बढ़ती भीड़ को देखते तत्कालीन डीएम टीएन लाल दास की पहल पर सरकार ने यहां थ्री स्टार होटल निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी. बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से तत्कालीन विभागीय मंत्री अशोक कुमार सिंह ने 16 फरवरी 2002 को इस टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स की नींव रखी थी. ठीक दो साल के बाद निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और 12 फरवरी 2004 को मंत्री ने ही इस होटल का उद्घाटन किया था.
संवरे झील, तो लौटेगी होटल की रौनक: पंकज बताते हैं कि रक्तकाली चौंसठ योगिनी धाम आने वाले लोगों की संख्या रोजाना हजारों में होती है. लेकिन उनमें से एक फीसदी लोगों का आगमन भी होटल या रेस्टूरेंट की ओर नहीं होता है. यदि मत्स्यगंधा जलाशय (झील) की रौनक पूर्व की तरह लौटा दी जाए. झील में पर्याप्त पानी व वोटकंग की व्यवस्था हो. बिजली की रोशनी से चारों ओर जगमग हो जाए. सुरक्षा के प्रबंध हो जाएं तो टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स की चहलकदमी एक बार फिर स्वत: लौट जायेगी.

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