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बेहतर इलाज के लिए मरीज के परिजनों को खुद करना पड़ता है रेफर

सहरसा सिटी : सावधान कही आप अचानक बीमार पर गये है और आप महिषी पीएचसी जा रहे हैं तो रूक जाइये. इलाज करना तो दूर की बात है, बेहतर इलाज के लिये रेफर करने के लिये भी डॉक्टर यहां नही रहते है. मरीज के परिजनों को खुद पुर्जा बना कर रेफर करना पड़ता है. इसी […]

सहरसा सिटी : सावधान कही आप अचानक बीमार पर गये है और आप महिषी पीएचसी जा रहे हैं तो रूक जाइये. इलाज करना तो दूर की बात है, बेहतर इलाज के लिये रेफर करने के लिये भी डॉक्टर यहां नही रहते है. मरीज के परिजनों को खुद पुर्जा बना कर रेफर करना पड़ता है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले ंमें स्वास्थ विभाग की क्या स्थिति है.

ताजा मामला गुरुवार का है. महिषी निवासी विद्यापति ठाकुर गुरुवार की सुबह धान की दौनी कर रहे थे. अचानक वह गिर गये. परिजन आनन-फानन में मरीज को पीएचसी ले गये. जहां डॉक्टर तो कौन पूछे एक अदद कर्मी तक मौजूद नही थे. परिजनों ने खुद एक पुर्जा पर अपने मरीज का नाम लिख एम्बुलेंस से सहरसा सदर अस्पताल पहुंच गया. इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर पुर्जा देख दंग रह गये.

पुर्जा पर नाम, पता , रजिस्ट्रेशन नंबर 7786 व समय 7 बजकर 49 मिनट के अलावे कुछ नहीं लिखा था. डॉक्टर ने जब परिजनों से मामले की जानकारी ली तो पूरा वाकया सामने आ गया. मरीज की पत्नी निभा देवी व पुत्र अजय ठाकुर ने बताया कि पीएचसी में कोई नहीं था. किसी तरह पुर्जा बनाकर एम्बुलेंस से सदर पहुंचा. सदर अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने मरीज क ी हालत देख उसके पुत्र से पुर्जा के पीछे महिषी पीएचसी से रेफर करने की बात लिखा मरीज को भरती कर लिया. जानकारी के अनुसार मरीज ब्रेन हेमरेज के शिकार हैं. इस बाबत जब महिषी पीएचसी प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने पहले इस बात से अनभिज्ञता जतायी. फिर उन्होंने कहा कि ऐसा नही हो सकता डॉक्टर ही रेफर किये होंगे. शायद अपना दस्तखत करना भूल गये होंगे. सुबह में किनकी ड्यूटी थी पूछने पर कहा कि यह तो देखना पड़ेगा. कुछ देर बाद कीजिए. जिसके बाद प्रभारी ने अपना मोबाइल स्वीच ऑफ कर लिया.

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