लेकिन दुर्भाग्य, इनमें से कोई भी अपनी जिम्मेवारी नहीं निभा रहा. लिहाजा नालों की सफाई नहीं होती है. लोग भिनभिनाती गंदगी व उफनाती नालियों के बीच रहने को विवश बने हुए हैं. कहते हैं कि ऐसा नाला बनाने से क्या फायदा, जिसकी कभी सफाई ही न करायी जाये. ऐसे वार्ड कमिश्नर किस काम के, जो सिर्फ नेता होने का दंभ भरते नजर आयें.
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अंडरग्राउंड नाले का मुहाना किया बंद, रिसता है पानी
सहरसा मुख्यालय: जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के शहरी क्षेत्र के आधे से अधिक वार्डों में नाले की व्यवस्था है. उसकी सफाई के लिए नगर परिषद में पर्याप्त संख्या में स्वीपर भी नियुक्त हैं. मॉनीटरिंग के लिए नप में सहायक जमादार, जमादार, उस वार्ड के पार्षद, नप के पार्षदों की कमेटी व कार्यपालक पदाधिकारी […]
सहरसा मुख्यालय: जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के शहरी क्षेत्र के आधे से अधिक वार्डों में नाले की व्यवस्था है. उसकी सफाई के लिए नगर परिषद में पर्याप्त संख्या में स्वीपर भी नियुक्त हैं. मॉनीटरिंग के लिए नप में सहायक जमादार, जमादार, उस वार्ड के पार्षद, नप के पार्षदों की कमेटी व कार्यपालक पदाधिकारी जिम्मेवार हैं.
गंदे नाले से त्रस्त हैं लोग
वार्ड नंबर 22 के लोग नाले की कु व्यवस्था से त्रस्त हैं. पुरानी पीएनबी की गली में थोड़ा आगे बढ़ते ही नालों की दुर्दशा सड़कों पर दिख जाती है. लोगों के घरों के आगे नाला तो है, लेकिन बहाव पूरी तरह अवरुद्ध है. लिहाजा गंदे पानी का सड़कों पर उफनाना लाजिमी हो जाता है. इसी रास्ते में आगे बढ़ें तो बजरंग बली वली मंदिर से सटे गुजरने वाले नाले अपनी कहानी बताते नजर आते हैं. कचरों से भरी नालियां पानी के बहाव में विवश दिखती है. यहीं मुहाने पर पश्चिम से पूरब की ओर बहते आने वाले अंडरग्राउंड नाले का मुंह बंद कर दिया गया है. जिससे बीच-बीच में नाला ओवरफ्लो हो सड़क को क्षतिग्रस्त करते बाहर आने को आतुर नजर आता है. सरांध से यहां रहने वालों को भारी परेशानी होती है.
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