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लोकगीत अब साहत्यिकि गीत में समाहित हो गये हैं : डॉ वीणा

लोकगीत अब साहित्यिक गीत में समाहित हो गये हैं : डॉ वीणा मैथिली संस्कार विषयक परिसंवाद कार्यक्रम आयोजित प्रतिनिधि, सहरसा शहरएमएलटी कॉलेज में साहित्य अकादमी दिल्ली एवं महाविद्यालय की ओर से मंगलवार को मैथिली संस्कार गीतों के विविध आयाम विषयक परिसंवाद आयोजित किया गया. इस मौके पर अकादमी के कार्याधिकारी डॉ देवेश ने कहा कि […]

लोकगीत अब साहित्यिक गीत में समाहित हो गये हैं : डॉ वीणा मैथिली संस्कार विषयक परिसंवाद कार्यक्रम आयोजित प्रतिनिधि, सहरसा शहरएमएलटी कॉलेज में साहित्य अकादमी दिल्ली एवं महाविद्यालय की ओर से मंगलवार को मैथिली संस्कार गीतों के विविध आयाम विषयक परिसंवाद आयोजित किया गया. इस मौके पर अकादमी के कार्याधिकारी डॉ देवेश ने कहा कि मैथिली भाषा को साहित्यिक ऊर्जा को दृष्टिगत रखते हुए अकादमी द्वारा वर्ष 1965 में ही इस भाषा को मान्यता प्रदान की गयी थी. अकादमी भारत की 24 भाषाओं के साहित्यिक संवर्द्धन का कार्य कर रही है. अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष 450 कार्यक्रम तथा 450 पुस्तकें भी प्रकाशित की जाती है. विषय परिवर्तन करते हुए मैथिली भाषा परामर्श मंडल संयोजिका वीणा ठाकुर ने कहा कि मैथिली की लोकगीत अब साहित्यिक गीत में समाहित हो गये हैं. वस्तुत: लोक गीतों को लिखने की परिपाटी नहीं थी, यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक यह गीत स्वमेव आती रही है. मैथिली साहित्यकार डॉ कुलानंद झा ने कहा कि संस्कार गीतों की हमारे जीवन में विशेष महत्व रही है. जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कार गीत इस क्षेत्र में चर्चित रहे हैं. समदाउन एवं विवाह के मौके पर गाये जाने वाले गीतों की विशेष रूप से उन्होंने चर्चा की. अध्यक्षीय संबोधन में धीरेन्द्रनारायण झा धीर ने कहा कि संस्कार का मूल किसी से बेहतर लिखें. इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया. बीएड शिक्षिका डॉ बिजली प्रकाश के नेतृत्व में जय-जय भैरवी गीत का गायन किया गया. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ केपी यादव ने अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया. उन्होंने अकादमी कार्यक्रम में शिरकत कर रहे शिक्षक बंधुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता जतायी. विचार सत्र की अध्यक्षता जगदीश नारायण यादव द्वारा की गयी. मैथिली के लब्ध प्रतिष्ठित रचना का आलेक पाठ डॉ रामनरेश सिंह, रंजीत कुमार सिंह एवं हरिवंश झा द्वारा किया गया. अंतिम सत्र में युवा साहिति संगोष्ठी सुभाषचन्द्र यादव की अध्यक्षता में की गयी. इस मौके पर स्वाती शाकंभरी, निक्की प्रियदर्शनी, उमेश पासवान आदि द्वारा अपनी रचनाओं का पाठ किया गया. कार्यक्रम में सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ डीएन झा, चंद्रशेखर अधिकारी सहित कॉलेज कर्मी मौजूद थे. कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ शिशिर कुमार मिश्र ने किया. फोटो-मैथिली 17- कार्यक्रम को संबोधित करते प्राचार्य डॉ केपी यादव

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