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ढाला खुला देख होती है बेहद खुशी और गिरा देख बेचैन हो जाते हैं लोग

सहरसा : बंगाली बाजार और गंगजला रेलवे क्रॉसिंग लोगों के लिए नासूर बना हुआ है. लेकिन न तो सरकार के पास इसका कोई इलाज दिखता है और न ही जिला प्रशासन के पास. हां, इस नासूर के समाधान ओवरब्रिज को लेकर राजनीतिक बयानबाजी खूब होती रही है. लेकिन धरातल पर कुछ भी काम नहीं हो […]

सहरसा : बंगाली बाजार और गंगजला रेलवे क्रॉसिंग लोगों के लिए नासूर बना हुआ है. लेकिन न तो सरकार के पास इसका कोई इलाज दिखता है और न ही जिला प्रशासन के पास. हां, इस नासूर के समाधान ओवरब्रिज को लेकर राजनीतिक बयानबाजी खूब होती रही है. लेकिन धरातल पर कुछ भी काम नहीं हो रहा है. एक-दो नहीं, पूरे 22 वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है. जाम में फंसने वाले हर लोग शासन-प्रशासन को कोसते नहीं थकते हैं. लेकिन जिम्मेवार लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है.
चलो ढाला खुला है, जल्दी पार करो… :
इन दोनों रेलवे क्रॉसिंग की स्थिति यह हो गयी है कि लोग इसे पार करना ही नहीं चाहते हैं. लेकिन आवश्यक कार्यों के लिए आरपार जाने की मजबूरी है. सुबह से लेकर दिन के व्यस्त समय और बाजार-हाट के समय इंजन शंटिंग के लिए 24 से 25 बार ढाला गिरने के कारण लोगों का फंसना तय होता है. एक बार ढाला गिरने के बाद कम से कम आधे से पौने घंटे की फजीहत निश्चित है. ये दोनों क्रॉसिंग इतने डरावने हो गये हैं कि दूर से ही क्रॉसिंग के बैरियर पोल को देखने की आदत हो गयी है. .
सरकार और सांसद पर टिकी है नजर
चूंकि बंगाली बाजार की सड़क नेशनल हाइवे और पीडब्ल्यूडी के पाले में लगातार आती-जाती रही है. अभी यह पीडब्ल्यूडी के हिस्से में है. मार्च महीने में राज्य सरकार के तत्कालीन काबीना मंत्री वर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव ने सार्वजनिक मंच से लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद आरओबी का निर्माण शुरू होने की घोषणा की थी.
उसके ठीक बाद 13 मार्च को राज्य सरकार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने अपने ट्वीट में कहा था कि ओवरब्रिज के निर्माण हेतु पांच बार निविदा निर्गत हुई, निविदादाता के नहीं आने के कारण कार्य आवंटित नहीं हो सका.
अब इसका निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा कराये जाने हेतु निर्देश दिया गया है. लेकिन घोषणा दर घोषणा के बाद भी काम शुरू नहीं होने से लोगों को जाम की समस्या से निजात मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.

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