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कूड़े के बीच जीने को विवश शहर के लोग अव्यवस्था. सफाईकर्मियों की हड़ताल जारी

छठे वेतनमान लागू करने की मांग कर रहे सफाई कर्मचारी डेहरी : नगर पर्षद के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल लगातार पांचवें दिन भी जारी है. हड़ताल के कारण पूरे शहर में कूड़ा फैला हुआ है. मुख्य बाजार की सड़कों पर भी कूड़ा फैल गया है. जब वाहन चलते हैं, तो कूड़ा सड़क से उड़ कर […]

छठे वेतनमान लागू करने की मांग कर रहे सफाई कर्मचारी

डेहरी : नगर पर्षद के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल लगातार पांचवें दिन भी जारी है. हड़ताल के कारण पूरे शहर में कूड़ा फैला हुआ है. मुख्य बाजार की सड़कों पर भी कूड़ा फैल गया है. जब वाहन चलते हैं, तो कूड़ा सड़क से उड़ कर घरों व दुकानों में चला जा रहा है. वहीं, कूड़े के दुर्गंध के कारण शहर में रहना मुश्किल हो गया है.
इस हड़ताल से शहर के लोग परेशान हैं, लेकिन नगर पर्षद अधिकारी, पार्षद व सफाई का जिम्मा संभालने वाले एनजीओ को इससे कोई लेना देना नहीं हैं. बताया जाता है कि नगर पर्षद ने शहर की साफ-सफाई का जिम्मा एनजीओ को दिया है. इसके लिए संगठन को मोटी रकम दी जाती है. सफाई का काम एनजीओ को देने का पूर्व में काफी विरोध हुआ था, लेकिन कुछ पार्षदों की मिलीभगत से एनजीओ को यह काम मिल गया.
नहीं सुनाई दी सीटी की आवाज: नप के साथ एनजीओ के एग्रीमेंट के अनुसार सफाई कर्मचारियों द्वारा मुहल्लों में सीटी बजा कर कूड़ा इकट्ठा किया जाना था, ताकि किसी भी घर में कूड़ा न रह जाय, लेकिन आज तक शहर में सिटी की आवाज नहीं सुनाई पड़ी. बताया जाता कि पहले जो एनजीओ पहले साफ-सफाई कराती वह सटी बजा कर कूड़े का उठाव करती थी, लेकिन वर्तमान में जो एनजीओ काम कर रही है, वह ऐसा नहीं करती है.
पार्षद पर भी लग रहा पैसा लेने का आरोप: शहर में चर्चा है कि साफ-सफाई के लिए एनजीओ को जरूरत से अधिक रुपये दिये जाने के पीछे कुछ पार्षदों की मिलीभगत बतायी जा रही है. लोगों का आरोप है कि एनजीओ को मोटी रकम दिलवा कर कुछ पार्षदों ने अपनी जेब भरी है. लोग यह भी बताते हैं कि कुछ पार्षद ऐसे भी हैं, जो चाहते हैं कि शहर में साफ-सफाई में पारदर्शिता हो, लेकिन उनकी बात नप में दबा दी जाती हैं.
पार्षद को उठानी होगी आवाज
शहर के लोगों का कहना है कि इस गोरखधंधे के बेनकाब करने के लिए पार्षदों को ही आ‌वाज उठानी होगी. लोगों ने कहा कि उनके टैक्स के पैसे से नगर पर्षद चलता है. एनजीओ को काम से अधिक रुपये देकर आम लोगों के रुपये की बरबादी की जा रही है. इस पर विराम लगना चाहिए.
हड़ताली सफाई कर्मचारियों की मुख्य मांगें
एनजीओ के अधीन कार्य कर रहे सफाई कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें छठे वेतनमान का लाभ व वरदी दी जाय. अस्थायी कर्मचारी अपना वेतन नौ हजार करने व बरसाती और वरदी देने की मांग कर रहे हैं. वहीं, एनजीओ का कहना है कि उसे रुपये नहीं मिल रहे हैं, इसलिए उनकी मांगें पूरी नहीं की जा सकती हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
नप के कार्यपालक पदाधिकारी जमाल अख्तर अंसारी ने कहा कि छठे वेतनमान के लिए विभाग के पास आवेदन भेजा गया है. वहां से आदेश मिलते ही उसे लागू कर दिया जायेगा.

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